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‘लिविंग अपार्ट टुगेदर’ (LAT): भारत में क्यों बढ़ रहा है यह अनोखा वैवाहिक ट्रेंड? 🏠

मुंबई। आधुनिक भारत में रिश्तों की परिभाषा तेजी से बदल रही है। पारंपरिक वैवाहिक जीवन (Traditional Marriage) के बंधन को चुनौती देते हुए, एक नया रिलेशनशिप ट्रेंड तेज़ी से उभर रहा है, जिसे ‘लिविंग अपार्ट टुगेदर’ (Living Apart Together – LAT) कहा जाता है। LAT उन विवाहित जोड़ों को संदर्भित करता है जो गहरे भावनात्मक और कानूनी रिश्ते में होने के बावजूद, अपनी व्यक्तिगत पसंद या परिस्थितियों के कारण अलग-अलग घरों में रहना चुनते हैं। यह कॉन्सेप्ट दिखा रहा है कि आज के जोड़े ‘प्यार और स्वतंत्रता’ दोनों को साथ लेकर चलना चाहते हैं।

 

क्यों लोकप्रिय हो रहा है LAT?

 

LAT का बढ़ता चलन मुख्य रूप से शहरी और कामकाजी मध्यमवर्ग के बीच देखा जा रहा है। इसके पीछे कई सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारण हैं:

  1. करियर और भौगोलिक आवश्यकताएँ: कई जोड़े अपने करियर के कारण अलग-अलग शहरों या देशों में काम करते हैं। वे अपने पेशेवर लक्ष्यों को छोड़ने के बजाय, वीकेंड पर या छुट्टियों में मिलकर अपने रिश्ते को निभाना पसंद करते हैं। LAT ऐसे में रिश्ते को बनाए रखने का सबसे व्यावहारिक समाधान बन जाता है।
  2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और ‘मी-टाइम’: आज के युवा और मिडिल-एज कपल्स अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Individual Freedom) को बहुत महत्व देते हैं। अलग-अलग घरों में रहने से उन्हें अपना ‘मी-टाइम’ मिलता है, वे अपनी रुचियों (Hobbies) को पूरा कर सकते हैं, और उन्हें रोजमर्रा की घरेलू जिम्मेदारियों से कुछ हद तक मुक्ति मिलती है, जिससे रिश्ते में ताजगी बनी रहती है।
  3. पुरानी शादी की जिम्मेदारियां: तलाकशुदा जोड़े जो दोबारा शादी करते हैं, उनके लिए LAT एक बेहतरीन विकल्प होता है। अलग रहने से उनके बच्चों (पिछली शादी से) और पूर्व-पार्टनर की जिम्मेदारियां और सीमाएं (Boundaries) आसानी से मैनेज हो जाती हैं, जिससे नए रिश्ते पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता।
  4. लगातार साथ रहने का दबाव कम: कई कपल्स मानते हैं कि लगातार साथ रहने से रिश्ता उबाऊ हो सकता है या छोटे-मोटे झगड़े बढ़ सकते हैं। LAT उन्हें एक-दूसरे को मिस करने और मिलने के समय की क़द्र करने का मौका देता है, जिससे रिश्ता अधिक रोमांचित और मजबूत बना रहता है।

 

पारंपरिक अवधारणा को चुनौती

 

LAT शादियां समाज की उस पारंपरिक धारणा को चुनौती देती हैं, जिसमें माना जाता है कि पति-पत्नी का एक ही छत के नीचे रहना ज़रूरी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चलन भारतीय समाज की विकसित होती सोच को दर्शाता है, जहां अब रिश्ते की सफलता का पैमाना भावनात्मक जुड़ाव है, न कि केवल भौतिक निकटता।

जैसे-जैसे जीवनशैली और करियर की मांगें बदल रही हैं, LAT जैसे नए वैवाहिक मॉडल भारतीय रिश्तों के भविष्य को एक नई दिशा दे सकते हैं, जहाँ प्यार और दूरी एक साथ सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।

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