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प्यार है मगर दूरी भी चाहिए: भारत में ‘लिविंग अपार्ट टुगेदर’ (LAT) शादियों का बढ़ता ट्रेंड 🏡

आधुनिक भारतीय समाज में विवाह और रिश्तों की पारंपरिक परिभाषाएँ अब बदल रही हैं। इसी बदलाव का प्रतीक है ‘लिविंग अपार्ट टुगेदर’ (Living Apart Together – LAT) शादियों का बढ़ता चलन। LAT एक ऐसा वैवाहिक मॉडल है जहाँ पति और पत्नी कानूनी रूप से शादीशुदा होते हैं, लेकिन वे स्वेच्छा से अलग-अलग घरों या शहरों में रहते हैं। यह अवधारणा उन जोड़ों के बीच लोकप्रिय हो रही है जो अपने रिश्ते की कमिटमेंट (Commitment) को तो बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन साथ ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर को भी प्राथमिकता देते हैं।

 

व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर की मांग

 

LAT ट्रेंड के बढ़ने के पीछे मुख्य कारण हैं:

  1. व्यक्तिगत स्थान (Personal Space) और आजादी: कई लोग यह मानते हैं कि अलग रहने से उन्हें अपने शौक, काम करने के तरीके और जीवनशैली पर किसी का हस्तक्षेप नहीं झेलना पड़ता। वे अपनी ‘मी-टाइम’ (Me-Time) को महत्व देते हैं, जो पारंपरिक सह-आवास (Co-habitation) में अक्सर प्रभावित होता है।
  2. करियर की आवश्यकताएँ: मल्टीनेशनल कंपनियों या अलग-अलग शहरों में काम करने वाले पेशेवरों के लिए LAT एक व्यावहारिक समाधान बन गया है। यह उन्हें अपने करियर को दांव पर लगाए बिना विवाह बंधन में बंधे रहने की सुविधा देता है।
  3. पारंपरिक दबावों से मुक्ति: LAT जोड़े संयुक्त परिवार या विवाह के पारंपरिक दबावों से बचते हैं, जहाँ उन्हें हर समय साथ रहने या सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करने की बाध्यता होती है।

 

भावनात्मक जुड़ाव बनाम भौतिक दूरी

 

LAT रिश्ते भौतिक दूरी (Physical Distance) पर आधारित होते हैं, लेकिन वे भावनात्मक जुड़ाव (Emotional Connection) को बनाए रखने पर जोर देते हैं। जोड़े नियमित रूप से मिलते हैं, छुट्टियाँ साथ बिताते हैं, और एक-दूसरे के जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल होते हैं। इस तरह, उनका मानना है कि दूरी उनके रिश्ते में ताज़गी बनाए रखती है और एक-दूसरे के प्रति सम्मानप्यार को कम नहीं होने देती।

विशेषज्ञों का कहना है कि LAT शादियाँ यह साबित करती हैं कि प्यार और कमिटमेंट को हमेशा एक ही छत के नीचे रहने की ज़रूरत नहीं है। यह मॉडल उन जोड़ों को एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है जो प्यार और समर्पण तो चाहते हैं, लेकिन साथ ही पारंपरिक बंधनों और रोजमर्रा की छोटी-मोटी नोक-झोंक से दूर रहना चाहते हैं। हालांकि, इस तरह के रिश्ते में सफल होने के लिए विश्वास, खुली बातचीत और आपसी समझ का स्तर बहुत उच्च होना चाहिए। भारत में, जहाँ विवाह को एक पवित्र और सामाजिक बंधन माना जाता है, LAT शादियों का यह बढ़ता चलन रिश्तों की बदलती गतिशीलता और आधुनिक सोच को दर्शाता है।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️