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पारंपरिक अपेक्षाओं से दूरी: LAT विवाह (Living Apart Together) कैसे आधुनिक जोड़ों को सामाजिक दबाव से मुक्ति दिलाते हैं

भारतीय समाज में विवाह एक निजी समझौता होने से अधिक एक सामाजिक संस्था है, जो दूल्हा और दुल्हन दोनों से कुछ नििश्चित और कठोर पारंपरिक अपेक्षाओं को पूरा करने की मांग करती है। ये अपेक्षाएं अक्सर व्यक्तिगत स्वतंत्रता, करियर के लक्ष्यों और जीवनशैली की प्राथमिकताओं पर भारी पड़ती हैं। लेकिन आधुनिक युग में, LAT (लिविंग अपार्ट टुगेदर) विवाह का बढ़ता चलन इन पारंपरिक अपेक्षाओं के खिलाफ एक शांत लेकिन शक्तिशाली विद्रोह के रूप में उभरा है। LAT मॉडल जोड़ों को सामाजिक दायित्वों और दमनकारी घरेलू भूमिकाओं के दबाव से दूर रखते हुए अपने रिश्ते को अपनी शर्तों पर परिभाषित करने की आजादी देता है।

 

1. पारंपरिक भारतीय विवाह की कठोर अपेक्षाएँ

 

सदियों से भारतीय विवाह कुछ अपरिवर्तनीय नियमों पर आधारित रहे हैं, जिनका पालन न करने पर जोड़े को सामाजिक कलंक या आलोचना का सामना करना पड़ता है। ये अपेक्षाएँ मुख्य रूप से दो क्षेत्रों में केंद्रित हैं: घरेलू भूमिकाएँ और सामाजिक दायित्व

 

A. दमनकारी घरेलू भूमिकाएँ (Gender-Specific Roles)

 

पारंपरिक भारतीय विवाहों में, लिंग-आधारित भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से परिभाषित होती हैं, जो अक्सर महिला की आजादी को सीमित करती हैं:

पुरुष की पारंपरिक भूमिका महिला की पारंपरिक भूमिका LAT में बदलाव
प्रदाता (Provider): घर की पूरी आर्थिक जिम्मेदारी उठाना। गृहिणी (Homemaker): घर का काम, खाना बनाना, बच्चों की देखभाल करना। इन भूमिकाओं का दबाव कम होता है; प्रत्येक पार्टनर अपने घर का प्रबंधन स्वयं करता है।
निर्णय लेने वाला (Decision Maker): परिवार के मुख्य निर्णय लेना। परिवार की सेवा करना: सास-ससुर और अन्य सदस्यों की सेवा करना। निर्णय सामूहिक होते हैं, और सेवा या दायित्वों का दबाव नहीं होता।

LAT विवाह इस रूढ़िवादिता को तोड़ता है क्योंकि पति-पत्नी अलग रहते हैं। कोई भी पार्टनर दूसरे से यह उम्मीद नहीं करता कि वह उसके घर के काम, खाना पकाने या कपड़ों की देखभाल की जिम्मेदारी संभालेगा। प्रत्येक व्यक्ति अपने घर का स्व-प्रबंधन (Self-Management) करता है, जिससे महिला को ‘गृहिणी’ की पारंपरिक भूमिका से मुक्ति मिलती है और पुरुष को ‘अकेला आर्थिक बोझ उठाने वाले’ की भूमिका से राहत मिलती है।

 

B. सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का बोझ

 

एक बार शादी हो जाने के बाद, जोड़ों से अपेक्षा की जाती है कि वे लगातार सामाजिक दायित्वों और पारिवारिक समारोहों में भाग लें।

  • संयुक्त परिवार का दबाव: कई बार, एक-दूसरे के परिवार के साथ एक ही छत के नीचे या अत्यधिक निकटता में रहना पड़ता है। यह व्यवस्था व्यक्तिगत स्पेस को खत्म कर देती है और लगातार समायोजन (Adjustment) की मांग करती है।
  • सामाजिक समारोहों में उपस्थिति: किसी भी शादीशुदा जोड़े से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सभी पारिवारिक शादियों, त्योहारों और सामाजिक समारोहों में एक साथ, ‘आदर्श जोड़े’ के रूप में मौजूद रहें।
  • बच्चों की तत्काल अपेक्षा: समाज यह दबाव डालता है कि शादी के तुरंत बाद या जल्द ही बच्चे पैदा किए जाएं, भले ही कपल इसके लिए तैयार न हो।

LAT जोड़े इन अपेक्षाओं के दबाव को कम कर सकते हैं। वे फिल्टर करके तय करते हैं कि उन्हें किन सामाजिक या पारिवारिक कार्यक्रमों में शामिल होना है। चूँकि वे अलग रहते हैं, इसलिए किसी को भी दूसरे के विस्तारित परिवार के साथ लगातार बातचीत करने या उनकी अपेक्षाओं के बोझ को सहने की ज़रूरत नहीं होती।

 

2. LAT विवाह: आजादी और नएपन का सूत्र

 

LAT विवाह पारंपरिक बंधन से मुक्ति और एक स्वस्थ रिश्ते के लिए कई अवसर प्रदान करते हैं:

 

A. रिश्ते को ‘डेटिंग मोड’ में रखना (Maintaining the Dating Vibe)

 

LAT का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह रिश्ते में नयापन और उत्साह बनाए रखता है। जब जोड़े अलग-अलग घरों में रहते हैं, तो उनका मिलना एक ‘तय की गई डेट’ जैसा महसूस होता है, न कि एक दिनचर्या का हिस्सा।

  • स्वैच्छिक मुलाकात: कपल स्वेच्छा से तय करते हैं कि वे कब और कैसे मिलेंगे। यह चुनाव उन्हें एक-दूसरे की कंपनी को अधिक महत्व देने और उसकी सराहना करने के लिए प्रेरित करता है।
  • उत्सुकता और रोमांस: अलग रहने से एक-दूसरे के प्रति उत्सुकता और रोमांस बना रहता है। रोजमर्रा के संघर्षों से दूर, उनका सीमित समय केवल प्यार, अंतरंगता और मौज-मस्ती पर केंद्रित होता है।
  • झगड़े कम होना: रिश्ते में अधिकांश झगड़े रोजमर्रा के घरेलू मुद्दों (जैसे कपड़े, बर्तन, टीवी रिमोट) को लेकर होते हैं। अलग रहने से ये छोटे-मोटे टकराव खत्म हो जाते हैं, जिससे रिश्ते की गुणवत्ता में सुधार होता है।

 

B. करियर पर बिना किसी बाधा के ध्यान (Uninterrupted Focus on Career)

 

पेशेवर दुनिया में, कई लोगों को अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए लंबी, अनियमित शिफ्टों में काम करना पड़ता है या लगातार यात्रा करनी पड़ती है।

  • बिना दखल का समय: एक LAT पार्टनर दूसरे के काम के समय या नींद में दखल नहीं देता। कोई भी पार्टनर दूसरे से यह शिकायत नहीं करता कि वह घर पर पर्याप्त समय नहीं दे रहा है, क्योंकि वे दोनों ही इस व्यवस्था के लिए सहमत हैं।
  • कार्य-जीवन संतुलन: LAT जोड़े अपने काम और निजी जीवन के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाए रख सकते हैं, क्योंकि वे दोनों की सीमाओं का सम्मान करते हैं।

 

C. व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता (Prioritizing Individual Growth)

 

पारंपरिक विवाह में, व्यक्ति अक्सर अपनी व्यक्तिगत पहचान खो देते हैं और उन्हें केवल ‘पति’ या ‘पत्नी’ की भूमिका में देखा जाता है। LAT विवाह व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत विकास (Self-Growth) और शौक को प्राथमिकता देने का मौका देता है। वे किसी भी समय अपने निजी लक्ष्यों, शिक्षा या स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, बिना किसी से अनुमति लिए।

 

3. LAT: एक परिपक्व और लोकतांत्रिक रिश्ता

 

कुल मिलाकर, LAT विवाह एक परिपक्व और लोकतांत्रिक (Democratic) रिश्ते को बढ़ावा देते हैं, जो पारंपरिक पितृसत्तात्मक (Patriarchal) ढांचे से दूर है।

  1. बराबर की साझेदारी: यह मॉडल पति और पत्नी को घर के मुखिया के रूप में समान दर्जा देता है। कोई भी पार्टनर दूसरे पर हावी नहीं होता, क्योंकि दोनों की अपनी-अपनी स्वायत्त दुनिया है।
  2. स्पष्ट सीमाएँ: LAT जोड़ों के बीच संचार (Communication) स्पष्ट और ईमानदार होता है, क्योंकि उन्हें अपने मिलने के समय, वित्तीय जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत सीमाओं पर पहले से ही समझौता करना पड़ता है।
  3. प्यार की परिभाषा का विस्तार: LAT यह सिद्ध करता है कि प्यार का मतलब भौगोलिक निकटता नहीं है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव, सम्मान और विश्वास है। यह मॉडल भारतीय जोड़ों को सिखा रहा है कि वे सामाजिक संहिता के अनुरूप रहने के बजाय, वह रिश्ता चुनें जो वास्तव में उन्हें खुश और संतुष्ट महसूस कराए।

इस प्रकार, LAT विवाह उन आधुनिक भारतीयों के लिए एक प्रभावी समाधान बन रहा है जो विवाह की प्रतिबद्धता चाहते हैं, लेकिन पारंपरिक अपेक्षाओं और घरेलू दवाबों से मुक्ति चाहते हैं। यह रिश्तों के भविष्य को अधिक व्यक्तिगत, लचीला और स्व-निर्णय आधारित बना रहा है।

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