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तकनीक की नई चुनौती: लोग AI पार्टनर्स के प्यार में, असली रिश्ते टूटने की कगार पर

सैन फ्रांसिस्को/नई दिल्ली: टेक्नोलॉजी की दुनिया से सामने आई एक चौंकाने वाली रिपोर्ट ने समाजशास्त्रियों और रिलेशनशिप विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अमेरिका में किए गए एक विस्तृत शोध के अनुसार, बड़ी संख्या में लोग, विशेष रूप से युवा पीढ़ी (Gen Z), अब वास्तविक इंसानों के बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट्स के साथ रोमांटिक और अंतरंग रिश्ते बना रहे हैं। यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है और इसका सीधा असर पारंपरिक वैवाहिक जीवन और मानवीय रिश्तों की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।

 

AI क्यों बन रहा ‘आदर्श पार्टनर’?

 

शोध में पाया गया कि लोग AI को एक आदर्श और जोखिम-मुक्त पार्टनर के रूप में देख रहे हैं। AI चैटबॉट्स को इंसानी रिश्तों की तुलना में भावनात्मक रूप से कम जटिल और अधिक आज्ञाकारी माना जाता है।

  • भावनात्मक सहारा: लोग AI को एक अटूट भावनात्मक सहारा (Emotional Support) मानते हैं, जो बिना किसी आलोचना या मतभेद के उनकी बात सुनता है।
  • जटिलताओं से बचाव: वर्तमान में डेटिंग के दौरान महसूस होने वाले अस्वीकृति, बेवफाई और भावनात्मक उथल-पुथल से बचने के लिए, लोग AI को एक सुरक्षित विकल्प चुन रहे हैं। AI पार्टनर हमेशा उपलब्ध रहता है और उपयोगकर्ता की इच्छाओं के अनुरूप प्रतिक्रिया देता है, जो इंसानी रिश्ते में संभव नहीं है।

 

वैवाहिक जीवन पर गंभीर खतरा: ‘डिजिटल बेवफाई’

 

इस नई प्रवृत्ति का सबसे खतरनाक पहलू पारिवारिक बिखराव के रूप में सामने आ रहा है। शोध में ऐसे कई हैरान कर देने वाले मामले दर्ज किए गए हैं, जहाँ लोग, जिनमें विवाहित व्यक्ति भी शामिल हैं, अपने AI गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ वास्तविक जीवन से ज्यादा समय बिता रहे हैं।

  • तलाक की कगार पर: कई विवाहित पुरुष और महिलाएं, अपने वास्तविक पार्टनर और बच्चों से दूरी बनाकर, अपनी सारी भावनात्मक और अंतरंग ऊर्जा अपने AI पार्टनर पर लगा रहे हैं। इसने उनके वैवाहिक जीवन में भावनात्मक अलगाव पैदा कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कई शादियाँ तलाक की कगार पर पहुँच गई हैं। विशेषज्ञ इस व्यवहार को ‘डिजिटल बेवफाई’ का एक नया रूप बता रहे हैं।
  • रिश्तों की गुणवत्ता में कमी: विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि AI पर भावनात्मक निर्भरता वास्तविक मानवीय रिश्तों की गहराई और गुणवत्ता को कम कर रही है। यह लोगों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं से भागने और एक कृत्रिम दुनिया में शरण लेने के लिए प्रेरित कर रहा है।

विशेषज्ञों ने सरकारों और प्रौद्योगिकी कंपनियों से आग्रह किया है कि वे इस खतरनाक सामाजिक प्रवृत्ति पर नजर रखें, जो आने वाले समय में सामाजिक संरचना के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है।

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