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टॉक्सिक रिलेशनशिप से बचें: अहंकार और अपेक्षाएं हैं सबसे बड़ी दरार

चेन्नई। आधुनिक जीवनशैली की भागदौड़ में, हमारे सबसे करीबी रिश्ते—चाहे वह वैवाहिक हो या प्रेम संबंध—अक्सर तनाव (Tension) और टकराव का शिकार हो जाते हैं। रिलेशनशिप कोच और विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि रिश्तों में दरार आने का मुख्य कारण दो आंतरिक शत्रु हैं: अहंकार (Ego) और अवास्तविक अपेक्षाएं (Unrealistic Expectations)

अहंकार और अपेक्षाएँ मिलकर एक टॉक्सिक साइकिल (विषाक्त चक्र) बनाते हैं, जहाँ लोग माफ़ी माँगने और क्षमा करने से डरते हैं। इसी डर के कारण, छोटी-मोटी नोकझोंक जल्द ही बड़े, स्थायी झगड़ों में बदल जाती है।

 

टॉक्सिक रिश्तों में अहंकार का ज़हर

 

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, जब अभिमान और अकड़ मन पर हावी हो जाते हैं, तब व्यक्ति:

  1. खुद को सही साबित करना चाहता है: रिश्ते में हार-जीत की भावना आ जाती है, जहाँ पार्टनर को नीचा दिखाना और खुद को श्रेष्ठ साबित करना लक्ष्य बन जाता है।
  2. माफ़ी माँगने में शर्म महसूस करता है: अहंकार व्यक्ति को विनम्रता से माफ़ी माँगने से रोकता है, भले ही उसे अपनी गलती का एहसास हो।
  3. समर्पण से पीछे हटता है: जहाँ रिश्ते को चलाने के लिए त्याग और समर्पण की आवश्यकता होती है, वहीं अहंकारी व्यक्ति केवल लेना जानता है, देना नहीं।

यह विषाक्त व्यवहार रिश्ते की भावनात्मक जड़ों को खोखला कर देता है।

 

अवास्तविक अपेक्षाएँ: टूटने की दूसरी वजह

 

रिश्तों में लोग अक्सर ऐसी अपेक्षाएँ रखते हैं जो पूरी करना किसी भी इंसान के लिए संभव नहीं होता। जैसे—पार्टनर को हर वक्त खुश रखना या हर ज़रूरत को पूरा करने की जिम्मेदारी लेना। ये अवास्तविक अपेक्षाएँ निराशा और असंतुष्टि पैदा करती हैं।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि अपेक्षाएँ रखने के बजाय स्वीकार्यता (Acceptance) को अपनाना चाहिए।

 

स्वस्थ रिश्ते की कुंजी: स्वीकार्यता और विनम्रता

 

एक स्वस्थ और दीर्घकालिक रिश्ते के लिए, निस्वार्थ प्रेम, स्वीकार्यता और विनम्रता आवश्यक है। विशेषज्ञों ने टॉक्सिक व्यवहार से बचने के लिए कुछ प्रभावी रणनीतियाँ सुझाई हैं:

  1. समस्या पर ध्यान दें, व्यक्ति पर नहीं: जब भी कोई मतभेद हो, तो पार्टनर की आलोचना करने के बजाय, मूल समस्या को पहचानें और उस पर मिलकर काम करें। “तुम हमेशा यही करते हो” के बजाय, “यह स्थिति बार-बार क्यों आ रही है?” पर ध्यान दें।
  2. बिना शर्त स्वीकार्यता: अपने पार्टनर को उनकी खामियों और कमज़ोरियों के साथ बिना शर्त स्वीकार करें। यही त्याग संबंधों में विश्वास और स्थायित्व की नींव रखता है।
  3. गुस्से में कहें ‘माफ़ी’: गुस्से में कही गई बातों के लिए विनम्रता से माफ़ी माँगने का अभ्यास करें। माफ़ी माँगना आपको कमज़ोर नहीं, बल्कि मज़बूत और समझदार बनाता है।

रिलेशनशिप कोचों का निष्कर्ष है कि सच्चा प्यार वहीं पनपता है, जहाँ अहंकार मर जाता है। अपने पार्टनर को वैसे ही अपनाना जैसे वे हैं, रिश्तों को टूटने से बचाने की सबसे बड़ी कुंजी है।


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