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💰 श्री गंगानगर में मनरेगा श्रमिकों के वेतन का मुद्दा: गहराता आर्थिक संकट

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत काम करने वाले ग्रामीण मजदूरों के लिए उनका दैनिक पारिश्रमिक ही आजीविका का मुख्य आधार होता है। हालांकि, श्री गंगानगर जिले सहित पूरे राजस्थान में मनरेगा श्रमिकों को पिछले चार महीनों से मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण एक गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।

🛑 भुगतान में विलंब का विकराल रूप

यह समस्या केवल श्री गंगानगर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्यव्यापी संकट का हिस्सा है।

  • श्री गंगानगर जिले में बकाया: लगभग ₹83.39 लाख की बड़ी राशि का भुगतान गंगानगर जिले के मनरेगा श्रमिकों को लंबित है।

  • पूरे राजस्थान में बकाया: राज्य भर में यह आंकड़ा बढ़कर लगभग ₹159 करोड़ हो गया है, जो लाखों ग्रामीण परिवारों की दैनिक ज़रूरतों पर सीधा असर डाल रहा है।

काम पूरा करने के बाद भी समय पर भुगतान न मिलने से श्रमिकों के परिवारों की माली हालत बिगड़ रही है। उन्हें राशन, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

📉 विलंब के संभावित कारण

मनरेगा भुगतान में देरी के पीछे अक्सर कई प्रशासनिक और वित्तीय कारण जिम्मेदार होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. केंद्र सरकार से अपर्याप्त या विलंबित निधि: मनरेगा का एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है। अक्सर राज्यों को जारी की जाने वाली फंड की कमी या फंड जारी होने में देरी भुगतान चक्र को बाधित करती है।

  2. एबीपीएस (Aadhaar Based Payment System) की अनिवार्यता: जनवरी 2024 से आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) की अनिवार्यता के बाद, कई श्रमिकों के जॉब कार्ड और बैंक खाते आधार से पूरी तरह लिंक नहीं हो पाए हैं, जिससे भी भुगतान संसाधित (Processed) होने में अनपेक्षित देरी हो रही है।

  3. प्रशासनिक अड़चनें: ग्राम पंचायतों और ब्लॉक स्तर पर मास्टर रोल को समय पर अपलोड करने और भुगतान की प्रक्रिया में लगने वाले समय के कारण भी विलंब होता है।

⚖️ संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन

मनरेगा अधिनियम के तहत यह स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि काम पूरा होने के 15 दिनों के भीतर मजदूरी का भुगतान कर दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसलों में कहा है कि मजदूरी के भुगतान में देरी को एक प्रकार का “जबरन श्रम” (Forced Labour) माना जा सकता है। चार महीने से अधिक की यह देरी न केवल श्रमिकों को आर्थिक रूप से पंगु बना रही है, बल्कि उनके कानूनी और संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और श्रमिक संगठनों ने इस मुद्दे को राज्य और केंद्र दोनों सरकारों के समक्ष उठाया है, ताकि लंबित भुगतान को तुरंत जारी किया जाए। यह संकट श्री गंगानगर के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन (Migration) को भी बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि मजदूर बेहतर और समय पर मेहनताने की तलाश में शहरों की ओर रुख कर सकते हैं।

इस समस्या के तत्काल समाधान के लिए राज्य सरकार को केंद्र से लंबित राशि की मांग को तेज करना होगा और साथ ही, राज्य स्तर पर भुगतान प्रक्रिया की दक्षता को बढ़ाना होगा।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️