
श्रीगंगानगर में एच माइनर के किसानों का नहर के पानी की कमी को लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। किसानों का यह आंदोलन उनके तय हिस्से के मुताबिक नहर के टेल (अंतिम छोर) तक पूरा पानी पहुंचाने की मांग पर केंद्रित है। प्रशासन और जल संसाधन विभाग की कथित उदासीनता से नाराज किसानों ने अब अपनी मांगों को मनवाने के लिए बड़े और उग्र कदम उठाने की चेतावनी दी है। यह प्रदर्शन क्षेत्र में सिंचाई और कृषि संकट को उजागर करता है।
विरोध प्रदर्शन का कारण: टेल तक पानी की कमी
एच माइनर नहर क्षेत्र के किसान लंबे समय से असंतुलित जल वितरण की समस्या से जूझ रहे हैं। उनका आरोप है कि नहर के शुरूआती हिस्सों (हेड) पर पानी का अत्यधिक उपयोग हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप नहर के अंतिम छोर (टेल) पर स्थित उनके खेतों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुँच पाता है।
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सिंचाई संकट: रबी की बुवाई और फसलों की सिंचाई के लिए पानी की कमी से किसान गंभीर संकट में हैं। यह कमी सीधे तौर पर फसल उत्पादन और किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है।
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प्रशासन पर उदासीनता का आरोप: किसानों का कहना है कि वे कई बार प्रशासन और जल विभाग को अपनी समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है और न ही जल वितरण व्यवस्था में सुधार किया गया है।
किसानों की चेतावनी और आंदोलन की रणनीति
प्रशासन द्वारा मांगों को अनसुना किए जाने पर, किसानों ने अपनी रणनीति को और सख्त करते हुए आगामी आंदोलन की चेतावनी दी है:
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मुख्य हैड बंद करने की चेतावनी (17 नवंबर): किसानों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि यदि उनकी मांगें तुरंत पूरी नहीं की गईं, तो वे 17 नवंबर को एच व एच डैश नहर के मुख्य हैड (जहाँ से नहर में पानी आता है) को बंद कर देंगे। नहर का मुख्य हैड बंद करने का मतलब है पूरे क्षेत्र में जल आपूर्ति को रोकना, जिससे अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई करने का दबाव बनेगा।
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अनशन शुरू करने का ऐलान (20 नवंबर): यदि हैड बंद करने की कार्रवाई के बाद भी प्रशासन नहीं झुका, तो किसानों ने 20 नवंबर से आमरण अनशन (भूख हड़ताल) शुरू करने का ऐलान किया है। अनशन जैसे कठोर कदम से आंदोलन की गंभीरता और राजनीतिक दबाव कई गुना बढ़ जाएगा।
आंदोलन का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
किसानों के इस विरोध प्रदर्शन से स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार दोनों पर दबाव बढ़ गया है। यह मामला श्रीगंगानगर जैसे कृषि प्रधान क्षेत्र में जल प्रबंधन की कमियों को उजागर करता है।
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राजनीतिक संवेदनशीलता: किसान आंदोलन हमेशा से ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है। वर्तमान में सत्ताधारी पार्टी के लिए यह आवश्यक है कि वे इस संकट का जल्द समाधान करें ताकि क्षेत्र में राजनीतिक अशांति न फैले।
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अन्य किसानों का समर्थन: एच माइनर के किसानों के इस विरोध को आस-पास के अन्य नहरों के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है, जो जल वितरण में समान समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इससे यह आंदोलन एक व्यापक किसान एकजुटता का रूप ले सकता है।
फिलहाल, सभी की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह किसानों की मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या 20 नवंबर से पहले कोई समाधान निकल पाता है ताकि किसान अनशन पर न बैठें और क्षेत्र में जल आपूर्ति सामान्य बनी रहे।