
श्रीगंगानगर: जिले के किसानों के लिए 25 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण और राहत भरी खबर सामने आई है। लंबे समय से चल रही सिंचाई जल की किल्लत के बाद, राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) में पानी की आवक (Water Inflow) में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। जल संसाधन विभाग ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि फिरोजपुर फीडर से जल की आपूर्ति सामान्य स्तर पर बहाल हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप श्रीगंगानगर की वितरण नहरों में पानी की मात्रा बढ़ा दी गई है।
रबी फसलों को मिला जीवनदान
यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब रबी की फसलें, विशेष रूप से गेहूं और सरसों, अपने महत्वपूर्ण विकास चरण में हैं, और उन्हें सिंचाई के लिए पानी की सख्त आवश्यकता है। पानी की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण पिछले कुछ हफ्तों से फसलें सूखने के कगार पर थीं, जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई थीं। जल स्तर बढ़ने से किसानों को अपनी फसलों को बचाने और अपेक्षित उत्पादन प्राप्त करने का बड़ा सहारा मिला है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि समय पर पानी की यह उपलब्धता जिले की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक मोड़ साबित होगी।
जल प्रबंधन और परिचालन
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पंजाब स्थित फिरोजपुर फीडर से पानी की आपूर्ति में सुधार के लिए पंजाब सरकार के साथ समन्वय स्थापित किया गया था। इस समन्वय के सफल होने से ही IGNP को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलना सुनिश्चित हो सका है। IGNP दुनिया की सबसे बड़ी नहर प्रणालियों में से एक है, जो राजस्थान के एक बड़े सूखे क्षेत्र को सिंचित करती है। नहर प्रणाली के इंजीनियरों ने अब जिले की विभिन्न वितरण प्रणालियों (Distribution Channels) में पानी के रोटेशन (बारी) को बेहतर ढंग से लागू करने की योजना बनाई है, ताकि सभी चक (क्षेत्रों) को न्यायसंगत तरीके से पानी मिल सके।
किसानों की प्रतिक्रिया और भविष्य की मांगें
पानी की आवक में सुधार की खबर सुनकर स्थानीय किसान यूनियनों और किसानों ने खुशी और संतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि इस कदम से उन्हें अपनी मेहनत का फल मिलने की उम्मीद जगी है। एक स्थानीय किसान नेता ने कहा, “यह सिर्फ राहत नहीं, बल्कि हमारी फसलों के लिए एक जीवन रेखा है। अगर पानी कुछ दिन और नहीं मिलता, तो हमारी गेहूं और सरसों की फसलें बर्बाद हो सकती थीं।”
हालांकि, किसानों ने इस बात पर जोर दिया है कि पानी की यह समस्या हर साल सामने आती है। इसे देखते हुए, स्थानीय किसान यूनियनों ने राज्य सरकार और जल संसाधन विभाग से भविष्य के लिए दीर्घकालिक और सतत जल प्रबंधन रणनीति अपनाने की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगों में नहरों की पक्की लाइनिंग (Lining) का कार्य तेजी से पूरा करना, रिसाव को रोकना, और पड़ोसी राज्यों के साथ पानी के समझौतों को सख्ती से लागू करना शामिल है, ताकि पानी की उपलब्धता में अनिश्चितता को समाप्त किया जा सके।
आर्थिक दृष्टिकोण
श्रीगंगानगर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है। रबी की फसलों के सफल उत्पादन का सीधा असर स्थानीय बाजार, कृषि-आधारित उद्योगों और किसानों की आय पर पड़ता है। पानी की आवक में सुधार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक गति आने की उम्मीद है, जिससे कृषि उपज की बेहतर बिक्री और किसानों की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी।
संक्षेप में, इंदिरा गांधी नहर में पानी की बढ़ी हुई आपूर्ति श्रीगंगानगर के किसानों के लिए क्रिसमस के अवसर पर एक बड़ा उपहार साबित हुई है, जिसने रबी की फसलों को नया जीवन दिया है, साथ ही जल प्रबंधन की दीर्घकालिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को भी उजागर किया है।