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🌾 एथेनॉल प्लांट विरोध: श्री गंगानगर सांसद ने लोकसभा में उठाया मुद्दा

पड़ोसी हनुमानगढ़ जिले के रथिखेड़ा गांव में प्रस्तावित एशिया के सबसे बड़े एथेनॉल प्लांट के निर्माण को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन (जो हाल के दिनों में हिंसक झड़पों के कारण सुर्खियों में रहा) अभी भी एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। श्री गंगानगर जिले से सटे इस क्षेत्र के किसानों की चिंताएं अब राष्ट्रीय पटल पर पहुंच गई हैं, जब श्री गंगानगर के सांसद (MP) कुलदीप इंदौरा ने हाल ही में लोकसभा में इस मामले को प्रमुखता से उठाया।

🏭 विरोध का मूल कारण: पर्यावरण और जल संकट

विरोध प्रदर्शन की जड़ में पर्यावरण और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले संभावित दुष्प्रभाव हैं। किसानों और स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं की मुख्य चिंताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. भूजल प्रदूषण का खतरा: एथेनॉल उत्पादन प्रक्रिया में भारी मात्रा में पानी का उपयोग होता है और बाय-प्रोडक्ट (Distillery Spent Wash) भी उत्पन्न होते हैं। विरोधियों का आरोप है कि इस प्लांट से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ (Effluent) यदि ठीक से उपचारित (Treated) नहीं किया गया, तो यह क्षेत्र के भूजल को प्रदूषित कर देगा, जिसका सीधा असर कृषि और पीने के पानी पर पड़ेगा।

  2. पानी की अत्यधिक खपत: राजस्थान जैसे जल-संकटग्रस्त राज्य में, एशिया के सबसे बड़े प्लांट के लिए आवश्यक पानी की भारी मात्रा स्थानीय जल संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डालेगी, जिससे पहले से ही सूख रही नहरों और नलकूपों की स्थिति और खराब हो सकती है।

  3. वायु प्रदूषण: प्लांट से होने वाला वायु प्रदूषण भी स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।

🗣️ सांसद इंदौरा का हस्तक्षेप

श्री गंगानगर के सांसद कुलदीप इंदौरा ने सदन में क्षेत्र के किसानों की आवाज उठाते हुए कहा कि यह प्लांट न केवल हनुमानगढ़ बल्कि श्री गंगानगर के सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों के जीवन और आजीविका को भी सीधे तौर पर प्रभावित करेगा।

  • पर्यावरण मंजूरी पर सवाल: उन्होंने इस परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance) की प्रक्रिया पर सवाल उठाए और इसके पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) की गहन समीक्षा की मांग की।

  • प्रशासन की “दमनकारी कार्रवाई”: सांसद ने विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रशासन द्वारा किसानों के प्रति अपनाई गई सख्त और दमनकारी नीतियों की कड़ी निंदा की। उन्होंने मांग की कि शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लिया जाए और पुलिसिया कार्रवाई की निष्पक्ष जांच की जाए।

🚨 हिंसा और राजनीतिक हलचल

हाल ही में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़पें हुई थीं, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए थे और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इस घटना ने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है। सांसद का लोकसभा में इस मुद्दे को उठाना दर्शाता है कि यह मामला अब केवल स्थानीय विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि एक प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन गया है, जिसके समाधान के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर हस्तक्षेप की आवश्यकता है। किसान मांग कर रहे हैं कि प्लांट को किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित किया जाए, जहां पर्यावरण जोखिम कम हो।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️