
हालिया रिपोर्ट ने राजस्थान के सीमावर्ती शहर श्रीगंगानगर को एक चिंताजनक पहचान दी है—यह देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर बन गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का 830 तक पहुँचना किसी भी शहर के लिए एक ‘खतरनाक’ स्तर है, जो न केवल स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन के लिए एक गंभीर खतरे की घंटी है।
🌬️ “खतरनाक” श्रेणी का मतलब
वायु गुणवत्ता सूचकांक में 830 का स्तर ‘गंभीर’ (401-500) की उच्चतम सीमा को भी पार करके ‘खतरनाक’ (Hazardous) श्रेणी में आता है। इसका सीधा अर्थ है कि हवा में सूक्ष्म कणों (PM2.5 और PM10) और अन्य हानिकारक प्रदूषकों की मात्रा इतनी अधिक है कि यह स्वस्थ लोगों को भी बीमार कर सकती है, जबकि पहले से मौजूद बीमारियों (जैसे अस्थमा, सीओपीडी) से जूझ रहे लोगों के लिए यह स्थिति जानलेवा हो सकती है। इस जहरीली हवा में सांस लेना एक दिन में कई सिगरेट पीने जितना हानिकारक हो सकता है।
🏭 प्रदूषण के मुख्य कारण
श्रीगंगानगर, जो पंजाब और हरियाणा की सीमा से सटा हुआ है, मौसमी और भौगोलिक कारकों के एक घातक मिश्रण का शिकार हो रहा है:
- पड़ोसी राज्यों में पराली दहन: फसल कटाई के बाद पड़ोसी राज्यों में बड़े पैमाने पर पराली (कृषि अपशिष्ट) जलाई जाती है। हवा के पैटर्न के कारण यह घना धुआँ (स्मॉग) श्रीगंगानगर की ओर बहकर आता है और यहाँ की हवा में विषाक्तता को अत्यधिक बढ़ा देता है।
- स्थिर और धीमी हवा: सर्दी के मौसम की शुरुआत में हवा की गति धीमी हो जाती है और तापमान गिरने से प्रदूषक कण निचले वातावरण में ही फँसकर एक जहरीली परत बना लेते हैं।
- धूल और रेत: राजस्थान की सीमा पर स्थित होने के कारण रेगिस्तानी धूल और खुले निर्माण स्थलों की धूल भी वायु में कणिकीय पदार्थों (Particulate Matter) की मात्रा को बढ़ाती है।
- वाहन और औद्योगिक उत्सर्जन: स्थानीय स्तर पर वाहनों का धुआँ और छोटे उद्योगों का उत्सर्जन भी प्रदूषण के स्तर को लगातार बढ़ा रहा है।
😷 स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव
AQI 830 का सीधा असर लोगों के फेफड़ों, हृदय और तंत्रिका तंत्र पर पड़ रहा है। अस्पतालों में श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे- खांसी, गले में जलन, आंखों में पानी आना और सांस लेने में तकलीफ के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए घर से बाहर निकलना अत्यंत जोखिम भरा हो गया है, जिससे शहर के दैनिक जीवन और आर्थिक गतिविधियों पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।
💡 आगे की राह
इस संकट से निपटने के लिए एक ठोस और तत्काल कार्ययोजना की आवश्यकता है:
- क्षेत्रीय समन्वय: पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर पराली जलाने पर सख्त नियंत्रण और वैकल्पिक समाधानों को बढ़ावा देना।
- सार्वजनिक जागरूकता: निवासियों को घर के अंदर रहने, N95 मास्क पहनने और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने की सलाह देना।
- स्थानीय उपाय: निर्माण गतिविधियों पर धूल नियंत्रण के नियम सख्ती से लागू करना और कचरा जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना।
श्रीगंगानगर का यह हाल एक चेतावनी है कि प्रदूषण अब सिर्फ महानगरों की नहीं, बल्कि छोटे शहरों की भी एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या बन गया है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।