
उत्तरी राजस्थान के प्रमुख शहर श्रीगंगानगर में पिछले कुछ दिनों से मौसम ने अचानक करवट ली है, जिसने यहाँ के निवासियों को मिली-जुली राहत और परेशानी दी है। लंबे समय से भीषण गर्मी और उमस झेल रहे लोगों को बारिश के रूप में बड़ी राहत मिली है, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, यह राहत जल्द ही एक नई आफत में बदल गई, क्योंकि शहर के कई निचले इलाकों और मुख्य मार्गों पर भारी जलभराव हो गया है, जिसने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
गर्मी से मिली राहत
श्रीगंगानगर, जो अपनी अत्यधिक गर्मी के लिए जाना जाता है, में मानसून या प्री-मानसून की बारिश का बेसब्री से इंतजार हो रहा था। हालिया बारिश से पहले, अधिकतम तापमान लगातार उच्च बना हुआ था, जिससे दैनिक जीवन दूभर हो गया था। बारिश की शुरुआत होते ही ठंडी हवाओं का दौर शुरू हो गया और गर्मी का प्रभाव कम हुआ। यह बदलाव न केवल लोगों के लिए शारीरिक रूप से सुकून देने वाला था, बल्कि किसानों के चेहरों पर भी मुस्कान लाया, जिनकी फसलें पानी की कमी से जूझ रही थीं। इस मौसम बदलाव को स्थानीय लोग प्रकृति के एक वरदान के रूप में देख रहे थे।
जलभराव की गंभीर समस्या
गर्मी से मिली इस क्षणिक राहत के बाद, अनियोजित शहरीकरण और खराब जल निकासी व्यवस्था का पुराना संकट फिर से सामने आ गया। जैसे ही कुछ घंटों तक तेज बारिश हुई, शहर के प्रमुख बाजार, आवासीय कॉलोनियां और सरकारी कार्यालयों के आस-पास घुटनों तक पानी भर गया।
समस्या के मुख्य बिंदु:
- मुख्य सड़कें जलमग्न: पुरानी आबादी, शिव चौक, सुखाड़िया सर्कल जैसे व्यस्ततम क्षेत्रों में इतना पानी भर गया कि यातायात लगभग ठप हो गया। दोपहिया वाहन चालकों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
- निचले इलाकों में घर: शहर के कई निचले इलाकों में पानी लोगों के घरों और दुकानों में घुस गया, जिससे घरेलू सामान और व्यावसायिक माल का बड़ा नुकसान हुआ। निवासियों को अपने घरों से पानी निकालने के लिए मशक्कत करनी पड़ी।
- बिजली और स्वास्थ्य पर असर: जलभराव के कारण कई जगह बिजली आपूर्ति बाधित हुई। रुका हुआ पानी मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन गया है, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
- नगर परिषद की व्यवस्था पर सवाल: स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने नगर परिषद और प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर साल यह समस्या आती है, लेकिन नालों की सफाई और जल निकासी के स्थाई समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
आगे की राह
श्रीगंगानगर को इस वार्षिक समस्या से निजात दिलाने के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है। केवल बारिश के बाद पंप लगाकर पानी निकालने से काम नहीं चलेगा। प्रशासन को चाहिए कि:
- जल निकासी नेटवर्क का सुधार: पूरे शहर के लिए एक आधुनिक और प्रभावी जल निकासी प्रणाली विकसित की जाए।
- अतिक्रमण हटाना: नालों और जलमार्गों पर हुए अतिक्रमणों को सख्ती से हटाया जाए, ताकि पानी का बहाव अवरुद्ध न हो।
- नालों की नियमित सफाई: बारिश के मौसम से पहले और उसके दौरान नालों और सीवरों की व्यापक और नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए।
वर्तमान में, जहाँ एक ओर बारिश ने गर्मी से राहत दी है, वहीं दूसरी ओर जलभराव ने आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। प्रशासन को इस दोहरी चुनौती पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है ताकि श्रीगंगानगर के नागरिक सुरक्षित और सामान्य जीवन जी सकें।