
श्रीगंगानगर जिले में, जो अपनी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, किसानों पर प्रकृति और प्रशासनिक उदासीनता की दोहरी मार पड़ी है। जैतसर के पास गांव 24 जीबी सीमा के समीप घग्घर नदी का बांध टूटने से एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। इस कटाव से हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे क्षेत्र के किसानों की कमर टूट गई है।
टूटने का कारण और नुकसान की भयावहता
हाल के दिनों में हुई तूफानी बारिश ने पहले ही श्रीगंगानगर के कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुँचाया था। किसानों की मूंग, नरमा और ग्वार जैसी मुख्य फसलें पहले ही पानी भरने के कारण चौपट हो चुकी थीं। बचे-खुचे की उम्मीद लगाए बैठे किसानों के लिए यह बांध टूटना अंतिम झटका साबित हुआ। बांध में लगभग 20 फीट का गहरा कटाव आ गया, जिससे घग्घर का पानी अनियंत्रित होकर खेतों में फैल गया।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह समय फसलों की कटाई या उनके पकने का होता है। ऐसे में जलभराव से खड़ी फसलें गल गईं और जो फसलें कटी हुई थीं, वे पानी में बह गईं या खराब हो गईं। यह नुकसान केवल वर्तमान फसल का नहीं है, बल्कि लगातार जलभराव से जमीन की उर्वरता पर भी दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे आने वाली फसलें भी प्रभावित होंगी। किसानों का कहना है कि उनकी सालभर की मेहनत और निवेश चंद घंटों में पानी में मिल गया।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
इस घटना ने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। किसानों का आरोप है कि उन्होंने बांध की कमजोर स्थिति और संभावित खतरे को लेकर कलेक्टर से गुहार लगाई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि यह हादसा गुहार लगाने के 24 घंटे बाद हो गया, जिससे स्पष्ट होता है कि समय रहते आवश्यक मरम्मत या सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए गए।
किसानों के संगठनों ने इसे घोर लापरवाही करार दिया है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने समय पर कार्रवाई की होती या आपदा प्रबंधन की तैयारी मजबूत रखी होती, तो इतने बड़े नुकसान से बचा जा सकता था। उनका यह भी कहना है कि घग्घर नदी में जलस्तर बढ़ने का खतरा मानसून के दौरान हर साल बना रहता है, इसके बावजूद बांधों की नियमित निगरानी और मरम्मत क्यों नहीं की जाती?
मुआवज़े और भविष्य की चिंता
नुकसान के बाद अब किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द गिरदावरी (फसल हानि का आकलन) करवाए और उन्हें उचित मुआवज़ा प्रदान करे। कई किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं, और इस नुकसान के बाद उनके सामने कर्ज चुकाने का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। सरकार को चाहिए कि वह न केवल तत्काल आर्थिक सहायता दे, बल्कि प्रभावित किसानों के लिए कर्ज माफी और पुनर्वास योजनाओं पर भी विचार करे।
यह घटना श्रीगंगानगर के किसानों के लिए एक विपदा है, जिसने उनकी आर्थिक रीढ़ को तोड़ दिया है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन इस संकट से निपटने के लिए कितनी तत्परता और संवेदनशीलता दिखाते हैं।