
जैतसर/श्री गंगानगर। ‘राजस्थान के अन्न का कटोरा’ कहे जाने वाले श्री गंगानगर जिले में किसानों को घग्गर नदी के प्रकोप का सामना करना पड़ा है। हाल ही में हुई भारी बारिश (Heavy Rainfall) के कारण नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई, जिसने जैतसर क्षेत्र (Jaitsar area) के पास एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया।
24 जीबी सीमा पर 20 फीट का भयावह कटाव
यह घटना जिले की 24 जीबी सीमा के पास हुई, जहाँ घग्गर नदी का किनारा (बांध) अचानक तेज बहाव को झेल नहीं पाया। रात के समय, नदी के तटबंध में लगभग 20 फीट (20 feet) का एक बड़ा कटाव (Major breach) आ गया। तटबंध टूटने से नदी का पानी प्रचंड वेग से बाहर निकल आया और तेजी से आसपास के कृषि क्षेत्रों की ओर फैल गया।
पानी की यह धारा इतनी तीव्र थी कि उसने रास्ते में आने वाले खेतों को पल भर में जलमग्न कर दिया। इस अचानक और अनियंत्रित जल प्रवाह के कारण, किसानों की हजारों बीघा (Thousands of Bighas) में खड़ी खेतों की फसलें (Standing crops) पानी में डूब गईं और पूरी तरह से बर्बाद हो गईं। मुख्य रूप से नरमा (कपास), धान (चावल) और अन्य खरीफ की फसलों को भारी क्षति पहुंची है। किसान, जिन्होंने अपनी मेहनत और पूंजी लगाकर इन फसलों को सींचा था, अब बर्बादी का मंजर देखने को मजबूर हैं।
प्रशासन की सुस्ती पर किसानों का रोष
स्थानीय किसानों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने की आशंका को देखते हुए उन्होंने कई दिन पहले ही स्थानीय प्रशासन और सिंचाई विभाग (Irrigation Department) को तटबंध की कमजोर स्थिति के बारे में आगाह कर दिया था। किसानों ने इस संभावित खतरे को भाँपते हुए जिला कलेक्टर (District Collector) तक गुहार लगाई थी कि समय रहते कटाव को भरने या तटबंध को मजबूत करने का कार्य शुरू किया जाए, ताकि किसानों की मेहनत बच सके।
हालांकि, किसानों के तमाम आग्रह और गुहार के बावजूद, अधिकारियों द्वारा समय पर कोई ठोस कदम (No timely action) नहीं उठाया गया। किसानों का स्पष्ट आरोप है कि प्रशासन की सुस्ती और लापरवाही (Lethargy and negligence) के कारण ही यह बड़ा हादसा हुआ है। यदि समय रहते कटाव को भरा जाता, तो हजारों बीघा फसल को डूबने से बचाया जा सकता था। तटबंध टूटने के बाद, स्थानीय किसानों ने अपने स्तर पर भी मिट्टी के बोरे (Sandbags) लगाकर और साधनों का उपयोग करके पानी के बहाव को रोकने की कोशिश की, लेकिन कटाव की विशालता के सामने उनके प्रयास नाकाफी साबित हुए।
नुकसान का आकलन और मुआवजे की मांग
घटना के बाद, जिला प्रशासन अब हरकत में आया है। प्रभावित क्षेत्रों में राजस्व विभाग (Revenue Department) की टीमें भेजी गई हैं ताकि फसलों के नुकसान का आकलन (Assessment of crop damage) किया जा सके। प्रशासन का कहना है कि नुकसान की पूरी रिपोर्ट तैयार होने के बाद प्रभावित किसानों के लिए सरकारी मुआवजा (Government compensation) दिलवाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हालांकि, किसानों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। वे न केवल तत्काल और पर्याप्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं, बल्कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई (Action against officials) की मांग पर अड़े हैं। किसानों का कहना है कि यह मुआवजा उनकी पूरी लागत और मेहनत की भरपाई नहीं कर सकता, लेकिन यह उनके जीवनयापन के लिए जरूरी है। अब सबकी निगाहें प्रशासन की आकलन रिपोर्ट और मुआवजे की घोषणा पर टिकी हुई हैं।
निष्कर्ष: घग्गर नदी के बांध में आया यह कटाव श्री गंगानगर के कृषि प्रधान क्षेत्र के लिए एक बड़ी आपदा है, जिसने प्रशासनिक लापरवाही के कारण किसानों को भीषण आर्थिक संकट में डाल दिया है।