
नई दिल्ली। (दिनांक: 29 अक्टूबर 2025)
भारत में स्वास्थ्य और पोषण संबंधी गंभीर चिंताएँ उजागर हुई हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि देश की औसत आहार शैली में एक बड़ा और खतरनाक असंतुलन है, जो भारतीय आबादी के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है।
⚠️ डाइट में कार्बोहाइड्रेट्स का प्रभुत्व
ICMR की रिपोर्ट के अनुसार, एक औसत भारतीय व्यक्ति अपने दैनिक कैलोरी सेवन का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 62%, केवल कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) से प्राप्त कर रहा है।
- प्रमुख स्रोत: इस उच्च कार्ब्स सेवन के मुख्य स्रोतों में चावल, गेहूं (रोटी), आलू और चीनी शामिल हैं, जो पारंपरिक भारतीय भोजन का आधार हैं।
- प्रोटीन और फैट की कमी: रिपोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कार्बोहाइड्रेट्स की इतनी अधिक मात्रा के विपरीत, आहार में दो अन्य आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स – प्रोटीन (जैसे दालें, डेयरी उत्पाद, पनीर, लीन मीट) और हेल्दी फैट (जैसे नट्स, बीज और स्वस्थ तेल) का सेवन चिंताजनक रूप से कम है।
यह असंतुलित खान-पान, जिसमें कार्ब्स का अनुपात अत्यधिक है, शरीर के मेटाबॉलिज्म (चयापचय) पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
📈 डायबिटीज और मोटापे का बढ़ता जोखिम
चिकित्सा विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने इस आहार असंतुलन के गंभीर परिणामों के बारे में चेतावनी दी है। यह सीधे तौर पर देश में तेजी से बढ़ रहे मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) से जुड़ा हुआ है।
- स्वास्थ्य परिणाम: कार्बोहाइड्रेट्स का अत्यधिक सेवन और प्रोटीन की कमी शरीर में वसा (Fat) के संचय को बढ़ाती है, जिससे मोटापा बढ़ता है। इसके अलावा, कार्ब्स (विशेषकर रिफाइंड कार्ब्स) का उच्च सेवन रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर में तेजी से वृद्धि करता है, जिससे प्री-डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के मामले अभूतपूर्व दर से बढ़ रहे हैं।
- डॉक्टरों की अपील: डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि वे अपनी खाने की आदतों में बदलाव करें। उन्होंने सुझाव दिया है कि चावल और रोटी की मात्रा कम करें और हर भोजन में प्रोटीन के स्रोतों (दाल, पनीर, दही, अंडे) को प्राथमिकता दें। प्रोटीन न केवल मांसपेशियों को बनाए रखता है, बल्कि पेट को लंबे समय तक भरा हुआ भी महसूस कराता है, जिससे अनावश्यक कैलोरी के सेवन पर रोक लगती है।
ICMR की यह चेतावनी भारत को एक ‘कार्ब-हेवी’ देश से ‘प्रोटीन-संतुलित’ आहार अपनाने की दिशा में कदम उठाने के लिए एक वेक-अप कॉल है, ताकि भविष्य में स्वास्थ्य संकटों से बचा जा सके।