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स्क्रीन से दूरी और स्नेह का स्पर्श: बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए ‘अभ्यंग’ और दिनचर्या जरूरी 🧘‍♀️👨‍👩‍👧‍👦

नई दिल्ली। आधुनिक दौर में बच्चों का जीवन, अकादमिक दबाव और अत्यधिक स्क्रीन टाइम के कारण तनाव और एंग्जायटी से अछूता नहीं रहा है। बाल चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए माता-पिता के लिए दो सरल, लेकिन बेहद प्रभावी उपाय सुझाए हैं, जो प्राचीन आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित हैं और जिन्हें आधुनिक विज्ञान भी समर्थन देता है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, बच्चों को तनावमुक्त रखने और उनकी संज्ञानात्मक क्षमताओं (Cognitive Abilities) को बढ़ाने के लिए महंगी थेरेपी से पहले, इन कम जोखिम वाले और स्नेहपूर्ण तरीकों को अपनाना चाहिए:

 

1. कोमल दैनिक मालिश: ‘अभ्यंग’ की शक्ति

 

पहला और सबसे महत्वपूर्ण उपाय है ‘कोमल दैनिक मालिश’ जिसे आयुर्वेद में ‘अभ्यंग’ कहा जाता है। यह स्पर्श न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी चमत्कारिक है।

  • तंत्रिका तंत्र को शांति: सोने से ठीक पहले गर्म तेल से 5 से 10 मिनट की हल्की मालिश करने से तंत्रिका तंत्र (Nervous System) शांत होता है। स्पर्श चिकित्सा (Touch Therapy) शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को कम करती है।
  • बेहतर नींद: मालिश के शांत प्रभाव से बच्चों की नींद की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होता है। गहरी और अच्छी नींद बच्चों के बेहतर ध्यान और भावनात्मक लचीलेपन के लिए आवश्यक है।
  • भावनात्मक बंधन: माता-पिता द्वारा बच्चे को दी गई यह मालिश, एक सुरक्षित और प्यार भरा माहौल बनाती है, जिससे माता-पिता और बच्चे के बीच का भावनात्मक बंधन (Emotional Bonding) और अधिक मजबूत होता है।

 

2. निश्चित सोने का रूटीन: स्थिरता और सुरक्षा

 

दूसरा महत्वपूर्ण कारक ‘निश्चित सोने का रूटीन’ है। बाल मनोवैज्ञानिक इस बात पर जोर देते हैं कि बच्चों को दिनचर्या में सुरक्षा और पूर्वानुमेयता महसूस होती है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है।

  • स्क्रीन टाइम से दूरी: विशेषज्ञ सख्त सलाह देते हैं कि शाम 7 बजे के बाद स्क्रीन टाइम (मोबाइल, टैबलेट, टीवी) पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए, क्योंकि ब्लू लाइट नींद के हार्मोन ‘मेलाटोनिन’ को बाधित करती है।
  • शांत गतिविधियाँ: सोने के समय की दिनचर्या में हल्का भोजन, गर्म पानी से नहाना, कहानी सुनना या हल्की मालिश जैसी शांत गतिविधियाँ शामिल होनी चाहिए।
  • भावनात्मक नियंत्रण: नियमित दिनचर्या से बच्चों के शरीर को एक लय मिलती है, जिससे उनके भावनात्मक नियंत्रण में सुधार होता है और वे तनावपूर्ण स्थितियों को बेहतर तरीके से संभाल पाते हैं।

डॉक्टरों ने कहा है कि ये सरल, रोज़मर्रा के अभ्यास बच्चों के तनाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं।

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