
दोहरी चुनौती: कुपोषण से मोटापा तक
भारत एक ओर बच्चों में बौनेपन (Stunting) और एनीमिया जैसी कुपोषण की पुरानी समस्याओं से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर जीवनशैली में बदलाव के कारण वयस्कों और यहाँ तक कि बच्चों में भी मोटापा तेज़ी से बढ़ रहा है। मोटापा अब केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य मुद्दा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय समस्या बन गया है, जो गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे मधुमेह (Diabetes), हृदय रोग और उच्च रक्तचाप का सीधा कारण बनता है। चीनी और तेल के अत्यधिक सेवन को इन NCDs का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
अभियान के मुख्य लक्ष्य और रणनीतियाँ
राष्ट्रीय पोषण अभियान एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाता है, जिसका लक्ष्य केवल कैलोरी कम करना नहीं, बल्कि समग्र पोषण को बढ़ाना है:
1. मात्रा में कमी और स्वस्थ विकल्प
- 10% कटौती: लोगों को सचेत रूप से अपने खाना पकाने के तेल और मिठास (चीनी) की मात्रा में कटौती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
- पोषण साक्षरता: अभियान पोषण साक्षरता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, ताकि लोग अपने आहार के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को समझ सकें।
2. समावेशी और संतुलित आहार पर जोर
- ‘श्री अन्न’ (Millets) का महत्व: सरकार ‘श्री अन्न’ (मोटा अनाज), ताज़ी हरी सब्जियों और फलों को दैनिक आहार में शामिल करने की सलाह दे रही है। मिलेट्स फाइबर और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो न केवल पेट को भरा रखते हैं, बल्कि गैर-संचारी रोगों (NCDs) के जोखिम को भी कम करते हैं।
- मातृ एवं शिशु पोषण: अभियान मातृ पोषण (गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए उचित आहार) और प्रभावी स्तनपान की पद्धतियों को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है। यह 0-6 वर्ष के बच्चों में बौनेपन (Stunting) और एनीमिया जैसे कुपोषण के मामलों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी और तेल में 10% की कटौती जैसे छोटे लेकिन सामूहिक प्रयास, दीर्घकाल में देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह अभियान स्वस्थ आदतों को एक जन आंदोलन बनाने की दिशा में केंद्रित है।
आप अपने दैनिक आहार में 10% तेल और चीनी की कटौती को कैसे शुरू कर सकते हैं?