
बेंगलुरु। कन्नड़ सिनेमा के प्रतिभाशाली अभिनेता और निर्देशक ऋषभ शेट्टी की हालिया ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘कांतारा: चैप्टर 1’ बॉक्स ऑफिस पर रुकने का नाम नहीं ले रही है। फिल्म ने न केवल अपनी रिलीज के शुरुआती हफ्तों में धमाकेदार प्रदर्शन किया है, बल्कि इसने कई स्थापित रिकॉर्ड्स को ध्वस्त करते हुए इतिहास रच दिया है।
ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘कांतारा: चैप्टर 1’ ने कमाई के मामले में देश की कुछ सबसे बड़ी फिल्मों जैसे एसएस राजामौली की ‘बाहुबली’ और सलमान खान की ‘सुल्तान’ के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और दैनिक कलेक्शन रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कलेक्शन और ट्रेड एनालिस्ट्स का विस्मय
ट्रेड एनालिस्ट्स के अनुसार, ‘कांतारा: चैप्टर 1’ ने अपनी रिलीज के दूसरे और तीसरे सप्ताह के वीकेंड कलेक्शन में कुछ ऐसे आंकड़े पेश किए हैं, जो पहले केवल ‘बाहुबली’ और ‘केजीएफ’ जैसी मेगा-बजट फिल्मों के लिए आरक्षित माने जाते थे। विशेष रूप से, फिल्म ने कर्नाटक और कुछ अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में सर्वाधिक फुटफॉल (दर्शकों की संख्या) और दैनिक कलेक्शन के मामले में ‘बाहुबली’ के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है।
यह उपलब्धि इसलिए भी असाधारण है क्योंकि ‘कांतारा: चैप्टर 1’ का बजट, ‘बाहुबली’ या ‘सुल्तान’ के मुकाबले काफी कम है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि मजबूत कहानी, स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव और उत्कृष्ट निर्देशन के दम पर बड़े सितारों और भारी बजट को चुनौती दी जा सकती है।
ऋषभ शेट्टी का बढ़ता कद
फिल्म की इस अभूतपूर्व सफलता ने साउथ सिनेमा में ऋषभ शेट्टी के कद को कई गुना बढ़ा दिया है। अब उन्हें न केवल एक बेहतरीन अभिनेता और निर्देशक के रूप में देखा जाता है, बल्कि एक ऐसे कहानीकार के रूप में भी माना जाता है जो भारतीय जड़ों और लोक कथाओं को वैश्विक मंच पर सफलतापूर्वक पेश कर सकते हैं। ‘कांतारा’ के पहले चैप्टर की जबरदस्त सफलता के बाद, दर्शक अब इसके आने वाले सीक्वल ‘कांतारा: चैप्टर 2’ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
कंटेंट ही सिनेमा का असली किंग
ट्रेड पंडितों का मानना है कि ‘कांतारा: चैप्टर 1’ की सफलता एक बार फिर यह साबित करती है कि भारतीय सिनेमा में ‘कंटेंट ही असली किंग’ है। फिल्म की कहानी, जो तटीय कर्नाटक की लोककथा ‘भूत कोला’ और पर्यावरण के संघर्ष पर आधारित है, ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ा है। फिल्म का क्षेत्रीयता से निकलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा पाना, कहानी की सार्वभौमिक अपील का प्रमाण है।
फिल्म ने इंडस्ट्री को यह संदेश दिया है कि छोटे शहरों और क्षेत्रीय कहानियों में भी वैश्विक अपील की अपार क्षमता होती है, बशर्ते उन्हें पूरी ईमानदारी और भव्यता के साथ पर्दे पर उतारा जाए। ‘कांतारा: चैप्टर 1’ अब उन भारतीय फिल्मों की लिस्ट में शामिल हो गई है, जिनकी सफलता को आने वाली पीढ़ियां एक मिसाल के तौर पर याद रखेंगी।