
श्रीगंगानगर पुलिस ने जिले में सक्रिय एक बड़े और संगठित साइबर फ्रॉड गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसके तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक जुड़े होने की आशंका है। इस गिरोह के पास से 200 से अधिक “किराए” पर लिए गए बैंक खाते बरामद किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर ठगी और संदिग्ध वित्तीय लेन-देन के लिए किया जा रहा था। इस कार्रवाई के दौरान, पुलिस ने लगभग 10 खातों में ₹28 लाख रुपये की संदिग्ध राशि को होल्ड (Freeze) करने में सफलता पाई है।
फ्रॉड का नया और शातिर तरीका
यह गिरोह साइबर धोखाधड़ी के लिए एक अत्यंत शातिर और नया तरीका अपना रहा था, जिसे ‘अकाउंट रेंटल स्कीम’ कहा जा सकता है। अपराधी सीधे लोगों को ठगने के बजाय, उनके वैध बैंक खातों को किराये पर लेते थे, ताकि ठगी के पैसों का लेन-देन हो सके और वे कानूनी जांच से बच सकें।
निशाने पर कौन?
इस गिरोह के निशाने पर मुख्य रूप से समाज के कमजोर वर्ग के लोग थे, जिनमें बुजुर्ग, जरूरतमंद महिलाएं और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति शामिल थे। इन लोगों को ₹5,000 से ₹15,000 तक का एकमुश्त भुगतान या मासिक किराया देने का लालच दिया जाता था। इस लालच में आकर, लोग खुशी-खुशी अपने बैंक खाते, एटीएम कार्ड, पासबुक और चेकबुक गिरोह के हवाले कर देते थे।
इन खातों का उपयोग ठगी और अन्य अवैध गतिविधियों से प्राप्त राशि को तेजी से निकालने (Cash Out) और घुमाने (Layering) के लिए किया जाता था। चूंकि, खातों के असली धारक अक्सर भोले-भाले होते थे, इसलिए जब भी पुलिस या बैंक द्वारा किसी खाते पर संदेह होता था, तो असली अपराधी हमेशा पकड़ से बाहर रहते थे।
अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन और हवाला का शक
जांच अधिकारियों ने इस गिरोह के संबंध विदेशों तक होने की संभावना जताई है। यह सिर्फ घरेलू साइबर ठगी का मामला नहीं है, बल्कि इसके तार अंतर्राष्ट्रीय साइबर क्राइम हैंडलर्स से जुड़े हो सकते हैं।
बरामद किए गए इन ‘किराए’ के खातों का इस्तेमाल मुख्य रूप से निम्नलिखित अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा था:
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साइबर ठगी: देश भर में विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन फ्रॉड (जैसे KYC फ्रॉड, लॉटरी फ्रॉड) से लूटी गई धनराशि को जमा करना।
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हवाला लेन-देन: अवैध रूप से धन को देश के अंदर और बाहर भेजने के लिए इन खातों का उपयोग करना।
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ऑनलाइन गेमिंग/सट्टेबाजी: संदिग्ध ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी से जुड़े बड़े वित्तीय लेन-देन करना।
यह अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन यह दिखाता है कि यह गिरोह एक बड़े हवाला रैकेट या मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन का हिस्सा हो सकता है।
पुलिस रिमांड और आगे की जांच
गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद, उन्हें विस्तृत पूछताछ के लिए 7 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। पुलिस का मुख्य ध्यान अब निम्नलिखित पहलुओं पर है:
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मूल हैंडलर: अंतर्राष्ट्रीय हैंडलर की पहचान करना और उनके साथ स्थानीय गिरोह के संचार के तरीकों को समझना।
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अन्य खाते: यह पता लगाना कि क्या गिरोह ने राजस्थान और पड़ोसी राज्यों में इसी तरह के और खाते किराए पर ले रखे हैं।
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पीड़ितों की पहचान: उन लोगों की पहचान करना जो इन साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं और जिनके पैसे इन खातों में आए थे।
इस भंडाफोड़ से श्रीगंगानगर जिले में साइबर सुरक्षा को लेकर बड़ी जागरूकता पैदा होने की उम्मीद है, साथ ही आम जनता से अपील की गई है कि वे किसी भी लालच में आकर अपने बैंक खाते से संबंधित संवेदनशील जानकारी किसी को न दें।