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💨 श्री गंगानगर में वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति: AQI ‘बहुत खराब’ श्रेणी में

24 नवंबर 2025 को श्री गंगानगर शहर की हवा एक चिंताजनक स्तर पर पहुँच गई है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक रूप से 300 के पार दर्ज किया गया है, जिसने इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की वर्गीकरण प्रणाली के तहत ‘बहुत खराब’ श्रेणी (Very Poor Category) में डाल दिया है। यह स्थिति संकेत देती है कि हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा अब अत्यधिक उच्च स्तर पर है, जिससे हर वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जोखिम उत्पन्न हो गए हैं।


AQI का मतलब और ‘बहुत खराब’ श्रेणी का प्रभाव

 

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) हवा की गुणवत्ता को मापने का एक पैमाना है, जो बताता है कि हवा कितनी प्रदूषित है और स्वास्थ्य पर इसका क्या असर हो सकता है।

AQI रेंज श्रेणी स्वास्थ्य पर प्रभाव
0 – 50 अच्छा न्यूनतम प्रभाव
201 – 300 खराब कमजोर लोगों को साँस लेने में तकलीफ
301 – 400 बहुत खराब साँस की बीमारी वाले लोगों को गंभीर प्रभाव, स्वस्थ लोगों को भी बीमारी का खतरा
401 – 500 गंभीर स्वस्थ लोगों पर भी गंभीर प्रभाव, आपातकालीन स्थिति

श्री गंगानगर का AQI 300 के पार होने का मतलब है कि हवा में अत्यधिक महीन कण (PM 2.5 और PM 10) की सांद्रता बहुत अधिक हो गई है। ‘बहुत खराब’ हवा में लंबे समय तक रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों से संबंधित अन्य बीमारियों वाले लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहाँ तक कि स्वस्थ व्यक्तियों को भी लंबे समय तक बाहर रहने पर साँस लेने में कठिनाई, आँखों में जलन और गले में खराश जैसी शिकायतें हो रही हैं।


प्रदूषण के दो प्रमुख कारण

 

गंगानगर में वायु गुणवत्ता में आई इस अचानक और गंभीर गिरावट के लिए मुख्य रूप से दो प्रमुख कारकों को जिम्मेदार माना जा रहा है:

1. 🌾 आस-पास के खेतों में पराली जलाना (Stubble Burning)

 

यह हर साल नवंबर के महीने में उत्तरी भारत के लिए एक बड़ी समस्या है, और श्री गंगानगर भी इसका अपवाद नहीं है। धान की कटाई के बाद किसान अगली फसल के लिए खेत तैयार करने की जल्दी में बचे हुए डंठल (पराली) को जला देते हैं। यह प्रक्रिया बड़ी मात्रा में धुआँ, कार्बन मोनोऑक्साइड, और PM 2.5 जैसे विषैले प्रदूषक वातावरण में छोड़ती है।

श्री गंगानगर की सीमा पंजाब और हरियाणा से सटी होने के कारण, न केवल स्थानीय रूप से जलाई गई पराली का धुआँ, बल्कि पड़ोसी राज्यों से बहकर आने वाला धुआँ भी हवा की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।

2. 🌬️ हवा की धीमी गति (Low Wind Speed)

 

नवेंबर के अंत में ठंड और स्थिर मौसम के कारण हवा की गति (Wind Speed) अक्सर धीमी हो जाती है। हवा की धीमी गति के कारण प्रदूषक कण जमीन की सतह के पास ही अटके रहते हैं और वातावरण में ऊपर उठकर फैल नहीं पाते।

जब हवा तेजी से चलती है, तो यह प्रदूषकों को बड़े क्षेत्र में फैला देती है, जिससे उनका घनत्व कम हो जाता है। लेकिन स्थिर हवा की स्थिति में, पराली जलाने और वाहनों से निकलने वाले सभी प्रदूषक शहर के ऊपर एक धुंध (Smog) की परत बना लेते हैं, जिससे AQI खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है।


नागरिकों के लिए सुरक्षा उपाय

 

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों को निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी है:

  • बाहर जाने से बचें: जब तक बहुत जरूरी न हो, घर के अंदर रहें, खासकर सुबह और शाम के समय।

  • मास्क का उपयोग: बाहर निकलते समय N95 या P100 मास्क का उपयोग करें।

  • बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान: बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और बुजुर्गों को विशेष रूप से बाहरी गतिविधियों से दूर रखें, क्योंकि वे प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय प्रशासन को अब पराली जलाने पर सख्त निगरानी रखने और त्वरित कार्यवाही करने की आवश्यकता है ताकि नागरिकों को इस श्वास संबंधी आपातकाल से राहत मिल सके।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️