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🔬 भारत को मिली ‘सिंगल सेल ओमिक्स’ की शक्ति: IIT मद्रास ने लॉन्च की SCOT लैब

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास ने इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन (IRFC) के सहयोग से देश की पहली और सबसे अत्याधुनिक सिंगल सेल ओमिक्स ट्रांसलेशनल रिसर्च लैब (Single Cell Omics Translational Research Lab – SCOT) की स्थापना की है। यह अत्याधुनिक प्रयोगशाला भारतीय स्वास्थ्य सेवा और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह लैब भारत को औषधि खोज (Drug Discovery) और सटीक चिकित्सा (Precision Medicine) के युग में ले जाने के लिए तैयार है।


🧬 सिंगल सेल ओमिक्स क्या है?

 

‘ओमिक्स’ अनुसंधान में जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स, और ट्रांसक्रिप्टोमिक्स जैसे व्यापक क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है। पारंपरिक रूप से, वैज्ञानिक लाखों कोशिकाओं के मिश्रण का अध्ययन करते थे, जिससे औसत परिणाम मिलते थे।

हालांकि, सिंगल सेल ओमिक्स (Single Cell Omics) तकनीक कोशिकाओं के मिश्रण में मौजूद प्रत्येक व्यक्तिगत कोशिका का अध्ययन करने की क्षमता रखती है। यह तकनीक इस बात का पता लगा सकती है कि रोगग्रस्त कोशिकाएँ स्वस्थ कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न हैं, और वे आपस में किस प्रकार व्यवहार करती हैं।

यह नई क्षमता वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करती है कि:

  • ट्यूमर में अलग-अलग कोशिकाएं दवाओं के प्रति अलग तरह से प्रतिक्रिया क्यों करती हैं।

  • बीमारी के शुरुआती चरण में कौन सी विशिष्ट कोशिकाएं समस्या पैदा कर रही हैं।


🏥 SCOT लैब का महत्व और अनुप्रयोग

 

IRFC के वित्तीय सहयोग से स्थापित यह लैब भारत में स्वास्थ्य सेवा नवाचारों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके मुख्य लक्ष्य और अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:

1. सटीक चिकित्सा (Precision Medicine)

 

SCOT लैब का सबसे बड़ा योगदान सटीक चिकित्सा के क्षेत्र में होगा। यह तकनीक डॉक्टरों को प्रत्येक रोगी की बीमारी के लिए व्यक्तिगत उपचार (Personalized Treatment) विकसित करने में सक्षम बनाएगी। उदाहरण के लिए, यह निर्धारित किया जा सकता है कि कैंसर रोगी के लिए कौन सी विशिष्ट दवा सबसे अधिक प्रभावी होगी, जिससे अनावश्यक और अप्रभावी उपचारों से बचा जा सकेगा।

2. प्रारंभिक निदान (Early Diagnosis)

 

सिंगल सेल विश्लेषण बीमारी के बहुत शुरुआती चरणों में, यहाँ तक कि जब रोग के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे होते हैं, तब भी रोगग्रस्त कोशिकाओं या बायोमार्कर की पहचान करने में मदद करता है। यह प्रारंभिक निदान कई बीमारियों, विशेष रूप से कैंसर और तंत्रिका संबंधी विकारों (Neurological Disorders) के उपचार की सफलता दर को काफी बढ़ा सकता है।

3. लक्षित चिकित्सा (Targeted Therapy)

 

यह लैब अनुसंधानकर्ताओं को बीमारी पैदा करने वाली कोशिकाओं की सटीक आणविक प्रोफ़ाइल (Molecular Profile) की पहचान करने में मदद करेगी। इससे ऐसी नई दवाओं और उपचार पद्धतियों की खोज संभव होगी जो केवल रोगग्रस्त कोशिकाओं को लक्षित करेंगी, जबकि स्वस्थ कोशिकाओं को न्यूनतम नुकसान होगा।

4. अगली पीढ़ी के नवाचार

 

IIT मद्रास का SCOT लैब प्लेटफॉर्म भारत में अकादमिक संस्थानों, स्टार्टअप्स और दवा कंपनियों के लिए एक सहयोगात्मक केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जिससे अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य सेवा नवाचारों को विकसित करने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार होगा।

यह पहल भारत को वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी मानचित्र पर एक अग्रणी स्थान दिलाने में सहायक होगी।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️