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🗣️ संघर्ष प्रबंधन की कुंजी: ‘दोष न देने’ की नीति से रिश्ते होते हैं मजबूत

हर मानवीय रिश्ते में मनमुटाव, असहमति और छोटे-मोटे झगड़े स्वाभाविक हैं। ये संघर्ष रिश्ते की असफलता का संकेत नहीं हैं, बल्कि यह दर्शाते हैं कि दो अलग-अलग व्यक्ति एक-दूसरे के साथ समायोजन कर रहे हैं। हालांकि, इन संघर्षों को प्रबंधित करने का तरीका ही यह तय करता है कि रिश्ता कितना मजबूत या कमजोर होगा। रिलेशनशिप साइकोलॉजिस्ट्स इस बात पर ज़ोर देते हैं कि झगड़े को सुलझाते समय ‘दोष न देने की नीति’ (Non-Blaming Policy) अपनाना सबसे प्रभावी रणनीति है।

 

दोष देने वाली भाषा क्यों हानिकारक है?

 

अक्सर गुस्से या निराशा में, हम ‘तुम हमेशा…’ या ‘तुम कभी नहीं…’ जैसी दोष देने वाली भाषा का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए: “तुम हमेशा लेट आते हो!” या “तुम मेरी बात कभी नहीं सुनते!”।

  • रक्षात्मकता (Defensiveness): इस तरह के आरोप सीधे तौर पर पार्टनर के चरित्र पर हमला करते हैं, जिससे वे तुरंत रक्षात्मक मुद्रा में आ जाते हैं।
  • समाधान से दूरी: जब कोई व्यक्ति रक्षात्मक हो जाता है, तो वह समाधान पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, खुद को सही साबित करने और आरोप का जवाब देने पर ध्यान देता है। इससे बात और बिगड़ जाती है और मुद्दा अनसुलझा रह जाता है।
  • अपमानजनक महसूस कराना: लगातार दोष देना साथी को अपमानजनक और गैर-मूल्यवान महसूस कराता है, जिससे रिश्ते में कड़वाहट पैदा होती है।

 

‘मुझे महसूस होता है’ (I Feel) की जादुई शक्ति

 

दोष देने वाली भाषा का सबसे शक्तिशाली विकल्प है ‘आई-स्टेटमेंट’ (I-Statements) यानी ‘मुझे ऐसा महसूस होता है कि…’ से शुरू होने वाले वाक्य। यह नीति संघर्ष प्रबंधन में एक गेम-चेंजर है।

  • भावनाओं का संचार: ‘आई-स्टेटमेंट’ सीधे आपकी भावनाओं का संचार करता है, न कि आपके साथी के व्यवहार का मूल्यांकन करता है। उदाहरण के लिए: “मुझे गुस्सा आता है जब तुम 15 मिनट देर से आते हो” (दोष: “तुम हमेशा लेट आते हो!”)।
  • हमला नहीं, अभिव्यक्ति: यह भाषा आपके साथी को यह महसूस नहीं कराती कि उन पर हमला किया जा रहा है। आप अपनी भावना की ज़िम्मेदारी लेते हैं और इसे विनम्रतापूर्वक व्यक्त करते हैं।
  • समाधान की ओर पहला कदम: जब आपका पार्टनर रक्षात्मक नहीं होता, तो वह सहानुभूति (Empathy) दिखाने और आपकी भावना को समझने की स्थिति में होता है। इससे बातचीत तुरंत समाधान-उन्मुख (Solution-Oriented) हो जाती है, जिससे शांति बनी रहती है।

साइकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, इस नीति का पालन करने से झगड़ों की संख्या और उनकी तीव्रता दोनों में कमी आती है, जिससे रिश्तों की भावनात्मक मज़बूती और बॉन्डिंग कई गुना बढ़ जाती है।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️