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🏆 जीत के जश्न के बाद विवाद: ICC महिला वर्ल्ड कप की असली ट्रॉफी दुबई वापस, टीम को मिली ‘प्रतिकृति’

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में अपने शानदार प्रदर्शन से वनडे वर्ल्ड कप जीतकर देश को गौरव का क्षण दिया। टीम की ऐतिहासिक जीत के बाद पूरे देश में जश्न का माहौल है, लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के एक अजीब नियम को लेकर खेल जगत में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद विश्व कप की असली ट्रॉफी को लेकर है, जिसे जीतने वाली टीम को हमेशा के लिए नहीं सौंपा जाता है।

 

जीत के बाद का नियम: ‘असली’ और ‘नकली’ ट्रॉफी

 

यह खुलासा हुआ है कि ICC के नियमों के अनुसार, विश्व कप जीतने वाली टीम को जो प्रतिष्ठित ट्रॉफी प्रदान की जाती है, वह उनके पास स्थायी रूप से नहीं रहती है।

  1. प्रेजेंटेशन और परेड के लिए: टीम को जीत के तुरंत बाद, मैदान पर फोटोशूट और देश में आयोजित होने वाले विक्ट्री परेड के लिए असली ट्रॉफी दी जाती है। यह ट्रॉफी विशेष रूप से तैयार की गई है और इसका ऐतिहासिक महत्व है।
  2. दुबई मुख्यालय में वापसी: आधिकारिक समारोह और जश्न समाप्त होने के बाद, असली वर्ल्ड कप ट्रॉफी को वापस ICC के दुबई स्थित मुख्यालय में भेज दिया जाता है।
  3. विजेता टीम को प्रतिकृति: इसके बदले में, विजेता टीम को उस ट्रॉफी की एक उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिकृति (Replica) सौंप दी जाती है। यह प्रतिकृति विजेता टीम के रिकॉर्ड और गौरव के प्रतीक के रूप में उनके राष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड के मुख्यालय में रखी जाती है।

 

नियम बनाने का कारण: सुरक्षा और ऐतिहासिक मूल्य

 

ICC ने इस नियम के पीछे मुख्य रूप से सुरक्षा और ट्रॉफी के ऐतिहासिक मूल्य को कारण बताया है। चूँकि विश्व कप ट्रॉफी खेल के सबसे बड़े सम्मानों में से एक है और इसका उपयोग भविष्य के टूर्नामेंट्स में भी किया जाना है, इसलिए इसे किसी भी तरह के नुकसान, टूट-फूट या खो जाने से बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है।

ICC का मानना है कि प्रतिकृति भी गौरवशाली जीत का प्रतीक होती है, जबकि असली ट्रॉफी का संरक्षण करना वैश्विक क्रिकेट धरोहर के लिए आवश्यक है। यह नियम केवल महिला विश्व कप तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पुरुष विश्व कप और अन्य प्रमुख आईसीसी टूर्नामेंट्स पर भी लागू होता है।

 

विवाद और प्रतिक्रियाएँ

 

भारतीय महिला टीम की कप्तान, जिसने यह ऐतिहासिक जीत दिलाई, ने ट्रॉफी वापस लिए जाने पर सीधे तौर पर कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन कई पूर्व खिलाड़ियों और क्रिकेट पंडितों ने इस नियम पर सवाल उठाए हैं।

क्रिकेट विशेषज्ञ और फैंस तर्क दे रहे हैं कि जब टीम इतनी मेहनत और बलिदान के बाद खिताब जीतती है, तो उन्हें असली ट्रॉफी अपने पास रखने का पूरा अधिकार होना चाहिए। कुछ लोगों ने इसे विजेता टीम के सम्मान में कमी के रूप में भी देखा है। उनका मानना है कि यदि सुरक्षा चिंता का विषय है, तो ICC को ट्रॉफी के स्थायी प्रदर्शन के लिए विजेता बोर्ड के साथ मिलकर कड़े सुरक्षा मानक स्थापित करने चाहिए।

हालांकि, ICC ने स्पष्ट किया है कि यह नियम दशकों से चला आ रहा है और इसका उद्देश्य किसी को निराश करना नहीं, बल्कि क्रिकेट की विरासत को सुरक्षित रखना है।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️