
श्रीगंगानगर में बाबा दीपसिंह गुरुद्वारे के सेवादार तेजेन्द्रपाल सिंह उर्फ टिम्मा के खिलाफ कथित खालिस्तान समर्थित बयानबाजी और सोशल मीडिया के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को भड़काने के मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। पुलिस ने हाल ही में उनके खिलाफ नया मामला दर्ज किया है, जो पिछली कानूनी लड़ाई के बाद इस विवाद को फिर से सुर्खियों में ले आया है।
📜 कानूनी दाँव-पेच और हाई कोर्ट का फैसला
यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ था जब पुलिस ने पहले भी टिम्मा के खिलाफ इसी तरह के आरोपों में एक मामला दर्ज किया था। हालांकि, टिम्मा ने इस कार्रवाई को राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लंबी सुनवाई और विचार-विमर्श के बाद, हाई कोर्ट ने पहले दर्ज किए गए मामले को निरस्त (Quash) कर दिया था। यह कार्रवाई अक्सर तब की जाती है जब कोर्ट को लगता है कि दर्ज किए गए मामले में प्रथम दृष्टया कोई कानूनी खामी है, प्रक्रिया का पालन ठीक से नहीं किया गया है, या लगाए गए आरोप स्थापित नहीं होते हैं।
हाई कोर्ट से मिली राहत के बावजूद, पुलिस ने इस मामले को यहीं नहीं छोड़ा। कानूनी विशेषज्ञों से राय लेने और नए साक्ष्यों या कोणों पर विचार करने के बाद, पुलिस ने उसी आरोप – खालिस्तान का समर्थन करने वाली बयानबाजी और विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने – के तहत एक नया और अधिक मजबूत केस दर्ज किया है।
📱 सोशल मीडिया बनी विवाद का केंद्र
पुलिस के अनुसार, तेजेन्द्रपाल सिंह ने कथित तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल विवादास्पद और भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने के लिए किया था। इस सामग्री में कथित तौर पर खालिस्तान के समर्थन में नारे या बयान शामिल थे, जिससे समाज के एक वर्ग में अशांति और रोष पैदा हुआ। इस तरह की बयानबाजी को राष्ट्रीय एकता और शांति के लिए खतरा मानते हुए, पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
🚨 नए केस के निहितार्थ
नए केस के पंजीकरण का मतलब है कि पुलिस अब नए सिरे से जांच शुरू करेगी। इस केस में पुलिस द्वारा पहले से निरस्त हुए मामले की कमियों को दूर करने की संभावना है, ताकि वह अदालत में मजबूत सबूत पेश कर सके। यह कार्रवाई यह भी दर्शाती है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां राष्ट्र विरोधी या सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली गतिविधियों को गंभीरता से ले रही हैं, भले ही इसके लिए कई कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़े।
यह मामला श्रीगंगानगर जैसे सीमावर्ती शहर के लिए अत्यंत संवेदनशील है, जहाँ शांति और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना कानून-व्यवस्था के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। तेजेन्द्रपाल सिंह उर्फ टिम्मा को अब नए कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, और यह मामला फिर से कोर्ट की चौखट तक पहुंचने की संभावना है।