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महानगरों का नया कड़वा सच: ‘होबोसेक्सुअलिटी’ डेटिंग, जहाँ प्यार की जगह है ‘किराया’ 🏠💔

मुंबई। भारत के बड़े शहरों में तेज़ी से बदलते डेटिंग और रिलेशनशिप कल्चर ने एक नया और परेशान करने वाला ट्रेंड सामने ला दिया है, जिसे ‘होबोसेक्सुअलिटी’ कहा जाता है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ रिश्ते का आधार सच्चा प्यार या भावनात्मक जुड़ाव नहीं, बल्कि आर्थिक लाभ और मुफ्त आश्रय प्राप्त करना होता है।

 

क्या है ‘होबोसेक्सुअलिटी’?

 

‘होबोसेक्सुअल’ ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जो अपने पार्टनर का भावनात्मक और आर्थिक रूप से शोषण करता है ताकि उसे मुफ्त में रहने की जगह (Shelter) या आरामदायक जीवनशैली मिल सके। इस ट्रेंड में, पार्टनरशिप केवल महंगे किराए, बढ़ते लाइफस्टाइल खर्चों या आर्थिक अस्थिरता से बचने का एक अस्थायी साधन बन जाती है।

मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु जैसे महानगरों में, जहाँ आवास की लागत आसमान छू रही है, यह चलन युवाओं के बीच चिंता का विषय बन गया है। रियल एस्टेट की अत्यधिक कीमतें और अकेले रहने पर होने वाले भारी खर्च ने कुछ लोगों को रिलेशनशिप को एक ‘वित्तीय सहारा’ के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया है।

 

भावनात्मक और आर्थिक शोषण

 

रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स इस ट्रेंड को विषाक्त (Toxic) मानते हैं और इसके गंभीर परिणामों की चेतावनी देते हैं। होबोसेक्सुअलिटी में शामिल व्यक्ति शुरुआत में बहुत आकर्षक और रोमांटिक व्यवहार कर सकते हैं, लेकिन जल्द ही रिश्ते में शक्ति का भारी असंतुलन पैदा हो जाता है।

  • आर्थिक बोझ: एक पार्टनर (होबोसेक्सुअल) किराए, बिल और घरेलू खर्चों में न के बराबर योगदान देता है, जिससे सारा आर्थिक बोझ दूसरे पार्टनर पर आ जाता है।
  • भावनात्मक शोषण: जिस पार्टनर का शोषण किया जा रहा है, उसे भावनात्मक रूप से गहरा आघात लगता है। जब होबोसेक्सुअल व्यक्ति का आर्थिक लक्ष्य पूरा हो जाता है या उसे कोई बेहतर ‘आश्रय’ मिलता है, तो वह आसानी से रिश्ता तोड़ देता है, जिससे दूसरे पार्टनर को भारी मानसिक और भावनात्मक नुकसान होता है।

 

पहचान और बचाव की ज़रूरत

 

विशेषज्ञों का कहना है कि युवा पीढ़ी के लिए इस ट्रेंड को पहचानना बेहद ज़रूरी है। अगर आपका पार्टनर अपने आर्थिक मामलों पर बात करने से बचता है, लगातार आपके घर में रहने के लिए बहाने बनाता है, या आपसे खर्चों में योगदान की उम्मीद नहीं रखता है, तो यह खतरे का संकेत हो सकता है।

बढ़ती होबोसेक्सुअलिटी समाज को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या महानगरों में आर्थिक दबाव, प्रेम और रिश्ते की नींव को खोखला कर रहा है। ऐसे रिश्तों से बचने के लिए, युवाओं को डेटिंग की शुरुआत में ही आर्थिक अपेक्षाओं और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर खुलकर बात करना बेहद ज़रूरी है

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️