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कैंसर का बढ़ता ख़तरा: लाल मांस और प्रोसेस्ड फूड्स पर विशेषज्ञ की चेतावनी, जानिए क्या है सुरक्षित विकल्प

नई दिल्ली/लंदन: स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रमुख चिकित्सा संस्थानों की नवीनतम रिसर्च ने मांसाहारी खान-पान, विशेष रूप से लाल मांस (Red Meat) और प्रोसेस्ड मीट (Processed Meats) के अत्यधिक सेवन को कैंसर के बढ़ते जोखिम से सीधे तौर पर जोड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भी पहले ही इस संबंध में चेतावनी दी जा चुकी है, लेकिन हाल के अध्ययन इस खतरे की गंभीरता को और बढ़ा रहे हैं।

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अनियंत्रित रूप से इन खाद्य पदार्थों का सेवन केवल हृदय रोग ही नहीं, बल्कि कई गंभीर प्रकार के कैंसर (जैसे कोलोरेक्टल कैंसर, पेट का कैंसर और अग्नाशय का कैंसर) के लिए भी रास्ता खोल रहा है।

कैंसर और मीट का सीधा संबंध:

डॉक्टरों और पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, लाल और प्रोसेस्ड मीट में कुछ ऐसे यौगिक (Compounds) होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देते हैं:

  1. पुरानी सूजन (Chronic Inflammation): इन मीट में उच्च मात्रा में संतृप्त वसा (Saturated Fats) और अन्य तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में क्रोनिक इंफ्लेमेशन पैदा करते हैं। लंबे समय तक रहने वाली यह सूजन डीएनए को नुकसान पहुँचा सकती है और कोशिकाओं को असामान्य रूप से विभाजित होने के लिए प्रेरित करती है, जो कैंसर की शुरुआत है।
  2. नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स: सॉसेज, हैम, बेकन और सलामी जैसे प्रोसेस्ड मीट को संरक्षित (Preserve) करने के लिए अक्सर नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स का उपयोग किया जाता है। जब इन रसायनों को उच्च तापमान पर पकाया जाता है, तो वे नाइट्रोसमाइन (Nitrosamines) नामक कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाले) यौगिकों में बदल जाते हैं।
  3. उच्च तापमान पर पकाना: लाल मांस को ग्रिल करने या भूनने पर हेटेरोसाइक्लिक एमाइन्स (HCAs) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जैसे कार्सिनोजेनिक रसायन बनते हैं, जो डीएनए को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

सुरक्षित आहार की ओर बढ़ें:

स्वास्थ्य संगठनों ने लोगों को तत्काल अपने आहार की आदतों की समीक्षा करने और कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए मांस के सेवन को सीमित करने की सलाह दी है:

  • लाल मांस का सेवन सीमित करें: एक सप्ताह में 350-500 ग्राम से अधिक लाल मांस (बीफ, पोर्क, भेड़ का मांस) खाने से बचें।
  • प्रोसेस्ड मीट से दूरी: सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग और डिब्बाबंद मांस (Canned Meats) जैसे प्रोसेस्ड मीट को पूरी तरह से ‘कभी-कभी’ या ‘न-खाने’ वाली श्रेणी में रखें।
  • प्लांट-आधारित प्रोटीन को प्राथमिकता: अपनी डाइट में पौधे-आधारित प्रोटीन के स्रोतों को शामिल करें, जैसे – दालें, फलियाँ, टोफू, नट्स (अखरोट, बादाम) और बीज।
  • एंटीऑक्सीडेंट्स का सेवन बढ़ाएँ: हरी पत्तेदार सब्जियां, बेरीज़ और साबुत अनाज जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करते हैं।

विशेषज्ञों का निष्कर्ष है कि आहार में बदलाव एक शक्तिशाली निवारक उपाय हो सकता है। मांस की मात्रा कम करके और स्वस्थ विकल्पों को अपनाकर, हम अपने शरीर को कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों के जोखिम से बचा सकते हैं।

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