
मुंबई/बेंगलुरु: भारतीय मेट्रो शहरों में रिश्तों की पारंपरिक परिभाषा तेजी से बदल रही है। वैवाहिक जीवन का एक नया स्वरूप, जिसे लिविंग अपार्ट टुगेदर (Living Apart Together – LAT) कहा जाता है, शहरी, कामकाजी जोड़ों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इस चलन में पति और पत्नी विवाह के बंधन में बंधे होने के बावजूद, अलग-अलग घरों या अपार्टमेंट में रहते हैं।
यह चलन पश्चिमी देशों में पहले से स्थापित है, लेकिन अब भारतीय समाज भी, जहाँ संयुक्त परिवार की अवधारणा मजबूत रही है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर की ज़रूरतों के बीच संतुलन बनाने के लिए इस मॉडल को अपना रहा है।
क्या है LAT शादी?
LAT शादी पारंपरिक सह-निवास (Co-habitation) के विचार को चुनौती देती है। इसमें जोड़ा कानूनी रूप से विवाहित होता है और भावनात्मक रूप से भी एक-दूसरे से जुड़ा रहता है, लेकिन वे जानबूझकर एक ही छत के नीचे रहने से बचते हैं। यह अलगाव न तो दूरी का परिणाम है और न ही रिश्ते में किसी बड़ी समस्या का संकेत, बल्कि यह एक सचेत निर्णय होता है।
LAT चलन के कारण:
रिलेशनशिप काउंसलर्स और समाजशास्त्रियों ने इस बढ़ते चलन के पीछे कई कारण बताए हैं:
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कम्फर्ट ज़ोन: कई पेशेवर जोड़े अपनी निजी जगह और जीवनशैली की आदतों से समझौता नहीं करना चाहते। अलग रहने से वे अपनी ‘मी-टाइम’ को महत्व दे पाते हैं और एक-दूसरे के रूटीन में दखलंदाज़ी से बचते हैं।
- करियर की प्राथमिकताएं: तेजी से बदलते कॉर्पोरेट परिदृश्य में, कई बार पति या पत्नी को अलग-अलग शहरों या शहर के विपरीत सिरों पर काम करना पड़ता है। ऐसे में LAT उन्हें अपने करियर से समझौता किए बिना शादी को बनाए रखने की सुविधा देता है।
- तनाव और जिम्मेदारियों से दूरी: पारंपरिक विवाह अक्सर घरेलू जिम्मेदारियों और अपेक्षाओं का दबाव लाते हैं। LAT जोड़े इन पारंपरिक दबावों को कम करके केवल अपने रिश्ते के भावनात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
विशेषज्ञों की राय:
मनोवैज्ञानिक डॉ. रवि कपूर (काल्पनिक नाम) कहते हैं, “LAT उन आधुनिक जोड़ों के लिए एक बेहतरीन समाधान है जो प्यार और साथ दोनों चाहते हैं, लेकिन पारंपरिक रिश्ते की ‘भारी-भरकम’ जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं। यह दर्शाता है कि आज के रिश्ते एक-दूसरे पर निर्भरता के बजाय पारस्परिक सम्मान और व्यक्तिगत पहचान पर आधारित हैं।”
हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह मॉडल केवल तभी सफल होता है जब दोनों पार्टनर्स के बीच उच्च स्तर का विश्वास, खुला संचार (Open Communication) और सीमाएं (Boundaries) स्पष्ट हों। अगर LAT को ग़लतफ़हमी या अनसुलझी समस्याओं को टालने के लिए अपनाया जाता है, तो यह रिश्ते को कमजोर कर सकता है।
फिलहाल, LAT शादियां एक आधुनिक और लचीले वैवाहिक जीवन का प्रतीक बन रही हैं, जो यह साबित करती हैं कि प्यार और कमिटमेंट को एक ही पते की आवश्यकता नहीं है।