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टीबी उन्मूलन में पोषण की अहम भूमिका: ICMR की नई गाइडलाइन, WHO ने दी मान्यता 🍎

नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक नवीनतम अध्ययन ने तपेदिक (टीबी) के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए एक नई और महत्वपूर्ण दिशा प्रदान की है। अध्ययन में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि बेहतर पोषण का स्तर बनाए रखने से न केवल टीबी के मामलों में कमी लाई जा सकती है, बल्कि इसके उपचार और रिकवरी की प्रक्रिया में भी तेजी आती है। इस महत्वपूर्ण निष्कर्ष को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मान्यता दी है, जिससे भारत के टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को वैश्विक समर्थन मिला है।

 

कुपोषण और टीबी का गहरा संबंध

 

ICMR के शोधकर्ताओं ने पाया है कि कुपोषण (Malnutrition) और टीबी के बीच एक सीधा और गहरा संबंध है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) वाले लोग, जिनमें पोषण की कमी होती है, टीबी के जीवाणु (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। पोषण की कमी न केवल टीबी के खतरे को बढ़ाती है, बल्कि बीमारी से उबरने की प्रक्रिया को भी धीमा कर देती है।

 

ICMR की नई पोषण गाइडलाइंस

 

इस वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर, ICMR ने टीबी के मरीजों और उच्च जोखिम वाले समुदायों के लिए अपनी नई पोषण गाइडलाइंस जारी की है। इन गाइडलाइंस में टीबी के उपचार के दौरान उच्च प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने पर विशेष जोर दिया गया है।

गाइडलाइंस के मुख्य बिंदु:

  • प्रोटीन युक्त आहार: मरीजों को दालें, अंडे, दूध, पनीर और सोयाबीन जैसे प्रोटीन के स्रोतों का सेवन बढ़ाना चाहिए, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और क्षतिग्रस्त ऊतकों (Damaged Tissues) की मरम्मत में मदद करते हैं।
  • विटामिन और खनिज: विटामिन ए, डी, सी, और ई, साथ ही जिंक और आयरन जैसे खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थ आवश्यक हैं, जो संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता को बढ़ाते हैं।
  • ऊर्जा घनत्व वाला भोजन: बीमारी से लड़ने और वजन कम होने से बचने के लिए कैलोरी और ऊर्जा से भरपूर आहार महत्वपूर्ण है।

 

टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण कदम

 

भारत ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। ICMR का यह निष्कर्ष और WHO की मान्यता इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण रणनीति बदलाव का संकेत है। अब स्वास्थ्य कार्यक्रमों में केवल दवा वितरण ही नहीं, बल्कि पोषण सुरक्षा को भी एक अभिन्न अंग बनाया जाएगा।

यह पहल भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को मजबूत करेगी, जिससे टीबी के मामलों को कम करने और देश को रोग मुक्त बनाने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय अब पोषण हस्तक्षेप (Nutritional Intervention) कार्यक्रमों को टीबी नियंत्रण रणनीति के साथ एकीकृत करने की दिशा में काम कर रहा है।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️