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श्री गंगानगर में सीमावर्ती किसानों पर दोहरी मार: पाकिस्तान की ‘कच्ची सादकी नहर’ बनी मुसीबत, 12,000 बीघा खेत दलदल में तब्दील

श्री गंगानगर, राजस्थान। श्री गंगानगर जिले के सीमावर्ती किसानों पर इस वक्त प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि पड़ोसी देश की लापरवाही का कहर टूट पड़ा है। श्रीकरणपुर क्षेत्र के भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में भूजल स्तर (Groundwater Level) खतरनाक ढंग से बढ़ने के कारण हजारों बीघा उपजाऊ कृषि भूमि दलदल में तब्दील हो गई है।

भूजल सर्वेक्षण विभाग की हालिया रिपोर्ट और स्थानीय प्रशासन के अनुसार, इस गंभीर संकट की जड़ें सीमा पार हैं। पाकिस्तान में बहने वाली ‘कच्ची सादकी नहर’ से लगातार हो रहे रिसाव का पानी रिसकर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है, जिससे भूमिगत जल का स्तर रिकॉर्ड स्तर पर ऊपर आ गया है।

 

जमीन के नीचे पानी सिर्फ 1-2 फीट पर

 

श्रीकरणपुर और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति इतनी भयावह है कि कई स्थानों पर जमीन की सतह से पानी की गहराई महज 1 से 2 फीट रह गई है। पानी के इस अत्यधिक दबाव और ठहराव ने लगभग 12,000 बीघा कृषि भूमि को खेती के लिए अनुपयोगी बना दिया है।

स्थानीय किसानों का कहना है कि जलभराव के कारण खेत सूख नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते उनकी खड़ी फसलें पूरी तरह से सड़ चुकी हैं। नरमा (कपास), मूंग, ग्वार और अन्य खरीफ की फसलें जड़ गलन (Root Rot) की समस्या से बर्बाद हो गई हैं। किसानों ने बताया कि उन्हें इस साल न केवल फसल का भारी नुकसान हुआ है, बल्कि वे अपनी अगली फसल की बुवाई भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि खेत पूरी तरह से दलदली हो चुके हैं।

 

नहर की भौगोलिक स्थिति बनी कारण

 

भूजल सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि पाकिस्तान की लगभग 150 किलोमीटर लंबी कच्ची सादकी नहर भारतीय सीमा की तुलना में ऊंचाई वाले इलाके में बहती है। इस नहर की लाइनिंग (पक्कीकरण) ठीक से न होने के कारण इसका पानी लगातार रिसता रहता है। यह पानी ढलान के चलते भारतीय क्षेत्र की ओर बहकर जमीन के नीचे जमा हो रहा है, जिससे भूजल स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

किसानों ने इस गंभीर समस्या को लेकर कई बार स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि उनका जीवनयापन पूरी तरह से खेती पर निर्भर है और इस दलदल के कारण उनका भविष्य खतरे में है।

 

प्रशासनिक और कूटनीतिक प्रयास की आवश्यकता

 

जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी है। अधिकारियों का कहना है कि यह समस्या केवल स्थानीय स्तर पर हल नहीं हो सकती, बल्कि इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय या कूटनीतिक स्तर पर प्रयास करने होंगे। पाकिस्तान को अपनी कच्ची सादकी नहर की तुरंत मरम्मत और पक्कीकरण करना होगा, ताकि रिसाव बंद हो सके।

फिलहाल, किसानों को हुए भारी नुकसान का आकलन किया जा रहा है और राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की जा रही है। लेकिन जब तक नहर से पानी का रिसाव बंद नहीं होता, तब तक श्री गंगानगर के सीमावर्ती गांवों के किसानों पर यह जल संकट एक बड़ी चुनौती बना रहेगा।


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