
विटामिन-डी (Vitamin D), जिसे आम बोलचाल की भाषा में ‘सनशाइन विटामिन’ भी कहा जाता है, हमारे शरीर के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह कैल्शियम के अवशोषण (Absorption) में मदद करता है, जिससे हमारी हड्डियाँ मजबूत रहती हैं और हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) ठीक से काम करता है। हालांकि, भारत में, खासकर महिलाओं में विटामिन-डी की कमी एक बड़ी और व्यापक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिसकी अनदेखी करना गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को जन्म दे सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर महिलाएँ कुछ प्रमुख 10 संकेतों का अनुभव करती हैं, जिन्हें गंभीरता से लेना ज़रूरी है:
- जोड़ों और हड्डियों में लगातार दर्द: यह विटामिन-डी की कमी का सबसे आम और स्पष्ट संकेत है, खासकर सुबह के समय।
- पुरानी थकान और कमजोरी: पर्याप्त नींद लेने के बावजूद पूरे दिन थका हुआ महसूस करना।
- बार-बार बीमार पड़ना: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण सर्दी, जुकाम और संक्रमण (Infections) का खतरा बढ़ जाता है।
- कमर दर्द: विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से (Lower Back) में लगातार दर्द रहना।
- मूड स्विंग्स (Mood Swings): विटामिन-डी की कमी का संबंध अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) से है, जिससे मन के मिजाज में अचानक बदलाव आते हैं।
- मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन: मांसपेशियों में कमजोरी और बिना कारण ऐंठन होना।
- घाव भरने में देरी: चोट या घाव का सामान्य से अधिक समय लेना।
- तेजी से बाल झड़ना: विटामिन-डी की कमी सीधे बालों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
- नींद की समस्या: रात में सोने में कठिनाई या नींद बार-बार टूटना।
- हड्डियों का घनत्व कम होना: जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
क्यों है यह ख़तरा इतना गंभीर?
महिलाओं के लिए विटामिन-डी की कमी विशेष रूप से हानिकारक है, क्योंकि यह सीधे ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का भुरभुरा होना) और फ्रैक्चर (हड्डी टूटना) के खतरे को बढ़ाती है, खासकर मेनोपॉज के बाद। इसके अलावा, शोध बताते हैं कि इसकी कमी कई पुरानी बीमारियों, जैसे मधुमेह (Diabetes) और कुछ प्रकार के कैंसर, से जुड़ी हो सकती है।
बचाव और समाधान
विशेषज्ञों का स्पष्ट मानना है कि इस समस्या से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना और कुछ सरल कदम उठाना आवश्यक है:
- धूप लेना: सुबह या शाम के समय, जब धूप बहुत तेज न हो, थोड़ी देर के लिए शरीर को सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में लाना।
- आहार में बदलाव: मछली, अंडे की जर्दी और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ (Fortified Foods) जैसे खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना।
- सप्लीमेंट्स: यदि कमी गंभीर है, तो डॉक्टर की सलाह पर विटामिन-डी सप्लीमेंट्स का सेवन करना अनिवार्य है।
इन संकेतों को पहचानना और समय पर कार्रवाई करना महिलाओं को एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली बनाए रखने में मदद कर सकता है।