
साउथ सिनेमा के प्रतिभाशाली अभिनेता, लेखक और निर्देशक ऋषभ शेट्टी की फिल्म ‘कांतारा: चैप्टर 1’ (Kantara: Chapter 1) बॉक्स ऑफिस पर लगातार ऐतिहासिक सफलता दर्ज कर रही है। अपनी रिलीज़ के बाद से ही इस फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों को आकर्षित किया है, बल्कि कमाई के मामले में भी कई बड़े रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘कांतारा: चैप्टर 1’ ने हाल ही में रिलीज़ हुई हिंदी फिल्म ‘स्त्री 2’ के लाइफटाइम कलेक्शन को पछाड़ते हुए देश की दूसरी सबसे बड़ी हिट फिल्म का दर्जा हासिल कर लिया है।
बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक दहाड़
‘कांतारा: चैप्टर 1’ ने अपनी दमदार कहानी, शानदार विज़ुअल्स और बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर भारतीय सिनेमा जगत में एक नया बेंचमार्क स्थापित किया है। फिल्म ने अपनी रिलीज़ के दूसरे वीकेंड में ही जबरदस्त उछाल दर्ज किया है और बॉक्स ऑफिस पर इसकी कमाई की गति रुकने का नाम नहीं ले रही है।
- फिल्म ने घरेलू और वर्ल्डवाइड कलेक्शन, दोनों में ही चौंकाने वाले आंकड़े दर्ज किए हैं।
- सिनेमाघरों में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखते हुए, ‘कांतारा: चैप्टर 1’ अब तेज़ी से 400 करोड़ रुपये के जादुई आंकड़े की ओर बढ़ रही है।
‘स्त्री 2’ का रिकॉर्ड टूटा
जिस बात ने फिल्म क्रिटिक्स और ट्रेड एनालिस्ट्स को सबसे ज़्यादा हैरान किया है, वह यह है कि ‘कांतारा: चैप्टर 1’ ने बॉलीवुड की सफल फिल्म ‘स्त्री 2’ को भी कमाई के मामले में पीछे छोड़ दिया है। ‘स्त्री 2’, जिसने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया था, उसके कुल कलेक्शन को पीछे छोड़ना ‘कांतारा: चैप्टर 1’ की व्यापक अपील और सफलता को दर्शाता है। यह उपलब्धि यह साबित करती है कि अच्छी और मौलिक कहानी वाली फिल्में भाषा की सीमाओं से परे जाकर दर्शकों के दिलों पर राज कर सकती हैं।
सफलता का कारण: कहानी और संस्कृति
‘कांतारा: चैप्टर 1’ की सफलता का मुख्य श्रेय इसकी गहरी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी कहानी, ऋषभ शेट्टी के निर्देशन और उनके सशक्त अभिनय को जाता है। फिल्म कर्नाटक की लोक कथाओं और ‘भूत कोला’ जैसी परंपराओं पर आधारित है, जिसने दर्शकों को एक अनूठा सिनेमाई अनुभव प्रदान किया।
ऋषभ शेट्टी ने न सिर्फ एक अभिनेता के रूप में दर्शकों को प्रभावित किया, बल्कि उनके निर्देशन की प्रशंसा भी विश्व स्तर पर हो रही है। इस फिल्म की सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कंटेंट ही किंग है और दर्शक ऐसी कहानियों को देखना पसंद करते हैं, जो उन्हें उनकी मिट्टी और संस्कृति से जोड़ती हैं।
फिल्म का यह ऐतिहासिक प्रदर्शन भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो क्षेत्रीय फिल्मों की बढ़ती ताकत और पैन-इंडिया (Pan-India) अपील को उजागर करता है।