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एशियाई खेल 2025: भारत ने 107 पदक जीतकर रचा स्वर्णिम इतिहास

चीन के हांगझोऊ में आयोजित 19वें एशियाई खेलों (Asian Games 2023) में भारतीय दल ने अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुए देश का मान बढ़ाया है। भारतीय एथलीटों ने इन खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया और कुल 107 पदक जीतकर इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया। यह शानदार उपलब्धि “अब की बार, सौ पार” के नारे को सच साबित करती है, जो भारतीय दल ने इस प्रतियोगिता के लिए निर्धारित किया था।

पदक तालिका का ऐतिहासिक लेखा-जोखा

हांगझोऊ एशियाई खेलों में भारत की पदक संख्या ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारत ने जो 107 पदक हासिल किए, उनका विस्तृत विवरण इस प्रकार है:

  • स्वर्ण पदक (Gold): 28
  • रजत पदक (Silver): 38
  • कांस्य पदक (Bronze): 41
  • कुल पदक (Total): 107

पिछले संस्करण (जकार्ता 2018) में भारत ने 70 पदक जीते थे, इस बार 107 का आंकड़ा छूना भारतीय खेलों में आई क्रांति और खिलाड़ियों की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।

प्रमुख खेलों में शानदार प्रदर्शन

भारत की इस ऐतिहासिक सफलता में कई खेलों का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिनमें एथलेटिक्स और निशानेबाजी प्रमुख थे:

  1. एथलेटिक्स (Athletics): भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीटों ने सबसे अधिक पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। एथलेटिक्स में भारत ने 6 स्वर्ण सहित कुल 29 पदक हासिल किए। नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में सफलतापूर्वक अपना खिताब डिफेंड किया, जबकि कई अन्य युवा खिलाड़ियों ने भी दमदार प्रदर्शन किया।
  2. निशानेबाजी (Shooting): भारत ने निशानेबाजी में भी अपना दबदबा कायम रखा। यहां भारतीय शूटर्स ने 7 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 22 पदक अपने नाम किए। यह प्रदर्शन पदक तालिका में सबसे अधिक स्वर्ण पदक लाने वाला खेल रहा, जिसने भारत को ‘सौ पार’ के लक्ष्य तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. क्रिकेट (Cricket): हांगझोऊ गेम्स में क्रिकेट को पहली बार शामिल किया गया था, और भारत ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया। पुरुष और महिला दोनों क्रिकेट टीमों ने अपने डेब्यू में ही शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया।
  4. तीरंदाजी (Archery): तीरंदाजी (कंपाउंड) में भारतीय टीमों ने भी ऐतिहासिक प्रदर्शन किया, खासकर टीम स्पर्धाओं में कई स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया।

यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारतीय खेल इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह न केवल खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है, बल्कि सरकार और खेल प्राधिकरणों द्वारा दिए गए समर्थन और बेहतर प्रशिक्षण सुविधाओं का भी प्रमाण है। यह सफलता भविष्य में ओलंपिक जैसे बड़े मंचों पर भी भारत के लिए बड़ी उम्मीदें जगाती है।

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