
श्रीगंगानगर जिले की घड़साना कृषि उपज मंडी में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ई-नाम (e-NAM) यानी इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट योजना किसानों के लिए क्रांति साबित हो रही है। यह योजना किसानों को उनकी उपज का सही और पारदर्शी मूल्य दिलाने में मील का पत्थर बन गई है, जिससे वे बिचौलियों के चंगुल से मुक्त हो रहे हैं।
ई-नाम क्या है और घड़साना में कैसे काम कर रही है?
ई-नाम एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जो देश भर की मंडियों को एक साझा मंच पर जोड़ता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए एक राष्ट्रव्यापी बाजार उपलब्ध कराना है, ताकि वे न केवल स्थानीय बल्कि देश के किसी भी हिस्से के व्यापारी को अपनी फसल बेच सकें और बेहतर प्रतिस्पर्धा से अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकें।
घड़साना मंडी में इस योजना की सबसे बड़ी खासियत वैज्ञानिक गुणवत्ता जाँच प्रणाली है।
- आधुनिक गुणवत्ता जाँच: मंडी में आधुनिक मशीनों, विशेष रूप से तेल वाली फसलों जैसे सरसों (Rapeseed) के लिए ऑयल टेस्टिंग मशीनें लगाई गई हैं।
- पारदर्शिता: जब कोई किसान अपनी उपज मंडी में लाता है, तो इन मशीनों से उसकी फसल की गुणवत्ता, जैसे सरसों में तेल की मात्रा (Oil Content), नमी का स्तर, और अन्य गुणवत्ता मानकों की जाँच तुरंत की जाती है।
- मूल्य निर्धारण: जाँच के बाद प्राप्त गुणवत्ता रिपोर्ट के आधार पर ही फसल की ऑनलाइन नीलामी होती है। व्यापारी को यह स्पष्ट पता होता है कि वह किस गुणवत्ता की फसल खरीद रहा है, जिससे मूल्य निर्धारण पूरी तरह से पारदर्शी हो जाता है।
किसानों को हो रहे मुख्य लाभ
ई-नाम योजना ने घड़साना के किसानों के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाए हैं:
- बिचौलियों से मुक्ति: पारंपरिक मंडी व्यवस्था में बिचौलिये या दलाल अक्सर गुणवत्ता का बहाना बनाकर किसानों को उनकी उपज का कम दाम देते थे। ई-नाम के तहत, गुणवत्ता का निर्धारण मशीन द्वारा होता है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप और धोखाधड़ी की गुंजाइश खत्म हो जाती है। किसान सीधे मंडी या ई-नाम पोर्टल से जुड़े क्रेताओं को अपनी फसल बेच पाते हैं।
- सही मूल्य: फसल की गुणवत्ता वैज्ञानिक रूप से निर्धारित होने के कारण, किसान को उसकी उपज का वास्तविक मूल्य (Fair Price) मिलता है। यदि तेल की मात्रा अधिक है, तो उसे अधिक दाम मिलता है, जो पहले संभव नहीं था।
- व्यापक बाजार तक पहुँच: किसान अब केवल घड़साना या श्रीगंगानगर के व्यापारियों तक सीमित नहीं हैं। ई-नाम प्लेटफॉर्म के माध्यम से, वे महाराष्ट्र, गुजरात या देश के किसी भी राज्य के व्यापारी को अपनी फसल बेच सकते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और किसानों को बेहतर बोली मिलती है।
- त्वरित भुगतान: नीलामी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, भुगतान सीधे किसान के बैंक खाते में जमा किया जाता है, जिससे भुगतान में देरी की समस्या भी समाप्त हो जाती है।
श्रीगंगानगर के लिए महत्व
श्रीगंगानगर एक कृषि प्रधान जिला है, जहाँ सरसों, नरमा (कपास), ग्वार और गेहूँ की बम्पर पैदावार होती है। ई-नाम योजना ने यहाँ के किसानों को उनकी मेहनत का सही फल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह योजना न केवल किसानों को सशक्त बना रही है, बल्कि कृषि व्यापार में एक डिजिटल क्रांति ला रही है, जिससे घड़साना मंडी अब केवल स्थानीय बाजार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय कृषि बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।