
श्रीगंगानगर, जो अपनी उच्च कृषि उपज के लिए जाना जाता है, हाल ही में नकली बीज के एक बड़े गोरखधंधे का केंद्र बन गया है। राजस्थान सरकार के मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की अचानक की गई छापेमारी ने बीज कंपनियों द्वारा किसानों के साथ की जा रही व्यापक धोखाधड़ी का भंडाफोड़ किया है। यह कार्रवाई उन हजारों किसानों के लिए एक बड़ी राहत की उम्मीद जगाती है, जो अपनी गाढ़ी कमाई और मेहनत को ऐसी धोखेबाज कंपनियों के कारण बर्बाद होते देख रहे थे।
छापेमारी और धोखाधड़ी का तरीका
मंत्री डॉ. मीणा ने गुप्त सूचनाओं और किसानों की लगातार शिकायतों के आधार पर श्रीगंगानगर के कुछ प्रमुख बीज गोदामों पर छापा मारा। निरीक्षण के दौरान, जो चौंकाने वाले खुलासे हुए, वे बीज कंपनियों की आपराधिक मानसिकता को दर्शाते हैं।
मंत्री ने बताया कि ये कंपनियां किसानों को ऊंचे दामों पर बीज बेचने के लिए एक धोखे भरा तरीका अपनाती थीं। बीज को अधिक चमकीला और आकर्षक बनाने के लिए उस पर हानिकारक केमिकल का लेप किया जाता था। किसान, बीज की चमक और पैकेजिंग देखकर आकर्षित होते थे और यह मानकर महंगा बीज खरीद लेते थे कि यह उच्च गुणवत्ता का है। यह सिर्फ एक विपणन चाल नहीं थी, बल्कि सीधे तौर पर किसानों की जेब पर डाका डालने जैसा था।
ग्वार के नाम पर मक्का: विश्वासघात की पराकाष्ठा
इस धोखाधड़ी का सबसे गंभीर पहलू तब सामने आया जब मंत्री ने बताया कि किसानों को जो बीज “ग्वार का बीज” कहकर बेचा गया था, असल में वह मक्का निकला।
ग्वार (Cluster Bean) श्रीगंगानगर क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है, जिसका बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है। किसानों ने ग्वार की बुआई के उद्देश्य से महंगे बीज खरीदे, बुआई की, और महीनों तक अपनी फसल को सींचा। लेकिन जब खेतों में ग्वार की जगह मक्का के पौधे उगने लगे, तो किसानों के होश उड़ गए।
यह गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित धोखाधड़ी थी। इस विश्वासघात ने किसानों को दोहरी मार दी है:
- आर्थिक नुकसान: उन्होंने नकली बीज खरीदने में पैसा गंवाया।
- फसल का नुकसान: उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई, जिससे उनकी सालभर की आय का स्रोत छिन गया। मक्का की फसल ग्वार की तुलना में न तो उसी मांग की होती है और न ही किसान ने उसके हिसाब से खेत तैयार किए होते हैं।
कार्रवाई और किसानों की मांग
मंत्री डॉ. मीणा ने मौके से नकली बीज के नमूनों को जब्त कर जांच के लिए भेज दिया है और इस रैकेट में शामिल कंपनियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
इस खुलासे के बाद किसानों ने मांग की है कि न केवल इन कंपनियों को प्रतिबंधित किया जाए, बल्कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाए, ताकि वे अगले सीजन में फिर से खेती शुरू कर सकें। प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि बीज की गुणवत्ता की जांच नियमित हो और भविष्य में कोई भी कंपनी इस तरह किसानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न कर पाए। इस तरह की कठोर कार्रवाई ही किसानों के भरोसे को बहाल कर सकती है।