
उत्तरी राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में, विशेषकर जैतसर क्षेत्र में, घग्गर नदी का जलस्तर बढ़ने से एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। हाल ही में, जैतसर के पास गाँव 24 जीबी सीमा के पास घग्गर नदी के तटबंध में लगभग 20 फीट का बड़ा कटाव आने की खबर है, जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है।
स्थिति की गंभीरता
घग्गर नदी, जिसे अक्सर ‘राजस्थान का शोक’ कहा जाता है, में मानसूनी सीजन के दौरान पानी की भारी आवक के चलते तटबंधों पर दबाव बढ़ जाता है। इस बार, 20 फीट चौड़ा कटाव आना एक बड़ा खतरा है क्योंकि यह नदी के पानी को तेजी से आस-पास के कृषि क्षेत्रों और रिहायशी इलाकों की ओर मोड़ सकता है।
- फसलों का विनाश: शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, तटबंध टूटने के कारण नदी का पानी 70 से 100 बीघा तक के कृषि क्षेत्र में फैल चुका है, जिससे नरमा (कपास) जैसी खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं। किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर गया है।
- आबादी को खतरा: यदि यह कटाव और नहीं रोका गया, तो पानी 25 जीबी, 28 जीबी और अन्य आसपास के गाँवों की खेतों और आबादी भूमि तक फैल सकता है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- प्रशासनिक मुस्तैदी: सूचना मिलते ही एसडीएम (SDM), तहसीलदार और जल संसाधन विभाग के अधिकारी तुरंत मौके पर पहुँचे। घग्गर नियंत्रण कक्ष के अधिकारी भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
किसानों और ग्रामीणों का प्रयास
प्रशासन के पहुंचने से पहले ही स्थानीय किसान और ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर राहत और बचाव कार्य में जुट गए।
- किसानों ने ट्रैक्टरों और मिट्टी से भरी बोरियों की मदद से कटाव को पाटने का प्रयास शुरू कर दिया।
- ग्रामीणों की सूझबूझ और तत्परता से स्थिति को नियंत्रित करने की शुरुआती कोशिशें की गईं, ताकि कटाव को बड़ा होने से रोका जा सके।
- हालांकि, नदी का तेज बहाव और 20 फीट का कटाव होने के कारण यह कार्य बेहद मुश्किल साबित हो रहा है।
आगे का संकट
यह घटना न केवल जैतसर, बल्कि घग्गर के बहाव क्षेत्र में आने वाले अनूपगढ़ जैसे अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक चेतावनी है। अनूपगढ़ क्षेत्र में भी घग्गर नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और पानी भारत-पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मजनू पोस्ट तक पहुँच चुका है। किसानों का आरोप है कि पिछले वर्षों की घटनाओं के बावजूद, प्रशासन तटबंधों को मजबूत करने और जल निकासी की उचित व्यवस्था करने में विफल रहा है।
इस गंभीर स्थिति में, प्रशासन और जल संसाधन विभाग को युद्धस्तर पर काम करने की आवश्यकता है, ताकि कटाव को जल्द से जल्द भरा जा सके और आस-पास की आबादी और कृषि भूमि को बड़ी बाढ़ के खतरे से बचाया जा सके।