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श्री गंगानगर में अवैध धार्मिक गतिविधियों पर प्रशासन की सख्ती

श्री गंगानगर जिले में प्रशासन ने धर्मांतरण और कृषि भूमि के कथित दुरुपयोग से जुड़े मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में, जिले के गांव 6 पी और 16 ए में स्थित दो चर्चों (चर्च) पर बड़ी कार्रवाई की गई, जिसके तहत उनकी धार्मिक गतिविधियों को रोक दिया गया है। यह कदम राज्य में धार्मिक रूपांतरण और सरकारी नियमों के उल्लंघन को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया है।

 

कार्रवाई का कारण: कृषि भूमि का दुरुपयोग और धर्मांतरण की शिकायतें

 

प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई के मुख्य रूप से दो पहलू हैं। पहला और सबसे महत्वपूर्ण पहलू धर्मांतरण की शिकायतें हैं। स्थानीय स्तर पर ऐसी खबरें और शिकायतें मिल रही थीं कि इन स्थानों का इस्तेमाल अवैध रूप से धर्मांतरण गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था। यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है, जिसके कारण क्षेत्र में सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का खतरा पैदा हो रहा था। प्रशासन का मानना है कि इस तरह की गतिविधियाँ राज्य के कानूनों और सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध हैं।

दूसरा प्रमुख कारण कृषि भूमि का दुरुपयोग है। सरकारी नियमों के अनुसार, कृषि भूमि का उपयोग गैर-कृषि उद्देश्यों, जैसे कि धार्मिक भवन, व्यावसायिक संरचनाएँ या आवासीय कॉलोनियाँ बनाने के लिए नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसका आधिकारिक रूप से रूपांतरण (कन्वर्जन) न कराया गया हो। प्रशासन की जांच में यह पाया गया कि इन दोनों चर्चों का निर्माण कृषि भूमि पर किया गया था और इनके लिए आवश्यक कानूनी अनुमतियाँ नहीं ली गई थीं, जिससे यह सीधे तौर पर भूमि उपयोग नियमों का उल्लंघन था। कृषि भूमि का कन्वर्जन कराना एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका पालन करना अनिवार्य होता है। नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई का निर्णय लिया।

 

प्रशासन का सख्त रुख और संदेश

 

श्री गंगानगर में यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश देती है कि कानून का उल्लंघन करने वाली धार्मिक या सामाजिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन ने न केवल अवैध रूप से चल रही गतिविधियों को रोका है, बल्कि नियमों का उल्लंघन कर बने ढांचों पर भी सख्त रुख अपनाया है। इस प्रकार की सख्ती यह सुनिश्चित करती है कि सभी संस्थान, चाहे वे किसी भी समुदाय या धर्म से संबंधित हों, उन्हें देश के भूमि उपयोग कानूनों और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े नियमों का पालन करना होगा।

प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई किसी विशेष धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि कानून के शासन को स्थापित करने के लिए की गई है। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी धार्मिक या सामाजिक संगठन लोगों की आस्था का दुरुपयोग न करे और क्षेत्र में शांति एवं सद्भाव बना रहे। धर्मांतरण से जुड़ी शिकायतों पर गहन जांच जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं कोई बड़ा रैकेट तो सक्रिय नहीं था।

 

स्थानीय समुदाय और कानूनी निहितार्थ

 

इस कार्रवाई के बाद, स्थानीय समुदायों में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। एक ओर, कई लोगों ने अवैध धर्मांतरण के खिलाफ प्रशासन की तत्परता की सराहना की है, वहीं दूसरी ओर, धार्मिक संस्थानों पर की गई कार्रवाई को लेकर कुछ समूहों में असंतोष भी है। इस पूरे घटनाक्रम ने धार्मिक स्वतंत्रता और कानूनी अनुपालन के बीच की नाजुक रेखा को उजागर किया है। भारत का संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है। प्रशासन का तर्क है कि अवैध धर्मांतरण और भूमि का अवैध उपयोग सार्वजनिक व्यवस्था के दायरे में आता है।

आगे की कार्रवाई में, प्रशासन इन चर्चों से जुड़े व्यक्तियों और संगठनों पर कानूनी प्रक्रियाएं शुरू कर सकता है। इन संस्थाओं को अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए पहले कृषि भूमि का कानूनी रूप से गैर-कृषि उपयोग के लिए रूपांतरण (कन्वर्जन) कराना होगा और धर्मांतरण की शिकायतों के संबंध में खुद को निर्दोष साबित करना होगा। यह घटना श्री गंगानगर में उन सभी संस्थानों के लिए एक चेतावनी है जो आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं और अनुमतियों का उल्लंघन कर अपनी गतिविधियाँ संचालित कर रहे हैं। इस कदम को सुशासन और नियमों के कड़ाई से पालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

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