
श्री गंगानगर। ‘राजस्थान के अन्न का कटोरा’ के नाम से प्रसिद्ध श्री गंगानगर ज़िला इस समय एक गंभीर कृषि संकट का सामना कर रहा है। यहाँ के किसान अपनी जीवनरेखा, गंग नहर में सिंचाई पानी की भारी कमी को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। हज़ारों की संख्या में नाराज़ किसानों ने जिला कलेक्ट्रेट के पास ‘महापड़ाव’ शुरू कर दिया है, जिससे ज़िले की प्रशासनिक व्यवस्था और जनजीवन प्रभावित हुआ है।
पानी का विवाद: हक़ और हकीकत
श्री गंगानगर, जो अपनी कृषि उपज के लिए पूरे देश में जाना जाता है, पूरी तरह से नहरों के पानी पर निर्भर है। किसानों का तर्क है कि गंग नहर में राजस्थान के हिस्से का 2500 क्यूसेक पानी उन्हें मिलना चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में उन्हें तय कोटे से बहुत कम पानी मिल रहा है। कई बार तो यह आपूर्ति 1000 क्यूसेक से भी नीचे चली जाती है।
किसान संगठनों का आरोप है कि पानी की इस अनियमित और अपर्याप्त आपूर्ति के कारण उनकी प्रमुख फसलें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। नरमा (कपास) सहित अन्य खरीफ फसलों की या तो बिजाई नहीं हो पाई है या जो फसलें बोई गई हैं, वे सूखे और अत्यधिक गर्मी के कारण मुरझा रही हैं। यह जल संकट सीधे तौर पर ज़िले की कृषि अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, जिससे किसानों में गहरा आक्रोश है।
आंदोलन और प्रशासन को चेतावनी
इस जल संकट ने किसानों को आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है। महापड़ाव का नेतृत्व कर रहे जनप्रतिनिधियों और किसान नेताओं ने सरकार को स्पष्ट और कड़ी चेतावनी दी है। उनकी मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
- लिखित समझौता: सिंचाई पानी की नियमित आपूर्ति के संबंध में सरकार के साथ एक लिखित समझौता हो।
- स्थायी आपूर्ति: गंग नहर में स्थायी रूप से कम से कम 2200 क्यूसेक पानी हर हाल में उपलब्ध कराया जाए।
किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि वे केवल आश्वासन से संतुष्ट नहीं होंगे; उन्हें ठोस निर्णय चाहिए। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा। किसानों का यह प्रदर्शन न केवल सिंचाई की कमी बल्कि कृषि उपज के लिए उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और नहर मरम्मत जैसे बड़े मुद्दों को भी उजागर करता है।
ज़िला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया है, लेकिन किसानों की बढ़ती संख्या और उनके दृढ़ संकल्प को देखते हुए सरकार पर जल्द समाधान खोजने का दबाव बढ़ रहा है। यह आंदोलन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पानी की कमी श्री गंगानगर के किसानों के लिए अब जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन चुकी है।
आपकी जानकारी के लिए, इस तरह के पानी के विवाद अक्सर अंतर-राज्यीय (Inter-State) जल वितरण समझौतों से जुड़े होते हैं।
क्या आप जानना चाहेंगे कि इस जल संकट का नरमा (कपास) की फसल पर कितना बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है?