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जेन-ज़ी डेटिंग ट्रेंड्स: ‘सिचुएशनशिप’ और ‘नैनोशिप’ का बढ़ता चलन

नई दिल्ली। भारत में रिश्तों की पारंपरिक परिभाषाएँ अब जेन-ज़ी (Gen-Z) पीढ़ी के लिए काफी हद तक बदल चुकी हैं। युवा अब ‘नो-लेबल्स’ (No-Labels) वाले रिलेशनशिप्स को प्राथमिकता दे रहे हैं, जहाँ ‘बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रेंड’ या ‘पति/पत्नी’ जैसे ठोस नाम और उसके साथ आने वाली जिम्मेदारियों से दूरी बनाई जा रही है। इस नए डिजिटल और तेज़-तर्रार युग में, दो ट्रेंड्स सबसे अधिक चर्चा में हैं: सिचुएशनशिप और नैनोशिप

 

1. सिचुएशनशिप: दोस्ती और कमिटमेंट के बीच की अनिश्चितता

 

सिचुएशनशिप (Situationship) आधुनिक रिश्तों का एक जटिल चरण है। यह मूल रूप से दोस्ती और एक रोमांटिक रिश्ते के बीच का एक अनिश्चित (Ambiguous) क्षेत्र है।

  • परिभाषा: इसमें दो लोग एक-दूसरे के साथ भावनात्मक और शारीरिक रूप से जुड़े होते हैं, साथ में समय बिताते हैं, लेकिन रिश्ते को कोई ठोस नाम नहीं देते और कमिटमेंट (Commitment) से बचते हैं
  • आकर्षण का कारण: युवा इस ट्रेंड को इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह उन्हें व्यक्तिगत आज़ादी (Personal Freedom) और कम जिम्मेदारी का एहसास देता है। करियर पर ध्यान केंद्रित करने या बस नए लोगों को ‘एक्सप्लोर’ करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए यह एक सुविधाजनक विकल्प बन जाता है। यहाँ भविष्य की कोई उम्मीदें नहीं होतीं, जिससे तत्काल तनाव कम होता है।

 

2. नैनोशिप: फास्ट-फैशन डेटिंग का युग

 

नैनोशिप (Nanoship) को ‘फास्ट-फैशन’ डेटिंग स्टाइल के रूप में देखा जा सकता है।

  • परिभाषा: ये रिश्ते काफी कम समय के लिए होते हैं—अक्सर कुछ हफ़्तों या तीन-चार डेट्स तक ही सिमट कर रह जाते हैं। यह उतनी ही जल्दी खत्म हो जाते हैं, जितनी जल्दी शुरू होते हैं।
  • आकर्षण का कारण: यह ट्रेंड तत्काल संतुष्टि (Instant Gratification) और नए अनुभवों पर ज़ोर देता है। जेन-ज़ी पीढ़ी जल्दी से संतुष्ट होना चाहती है और वे लंबी, जटिल प्रक्रियाओं से बचना चाहती है। नैनोशिप उन्हें बिना किसी भारी भावनात्मक निवेश के विभिन्न व्यक्तित्वों और अनुभवों को जानने का मौका देती है।

 

विशेषज्ञ विश्लेषण: कमिटमेंट की कमी और भावनात्मक प्रभाव

 

रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये ट्रेंड्स सीधे तौर पर कमिटमेंट की कमी (Lack of Commitment) और तत्काल संतुष्टि की आधुनिक संस्कृति को दर्शाते हैं। सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स ने विकल्पों की एक बाढ़ ला दी है, जिससे लोगों के लिए किसी एक रिश्ते पर टिके रहना मुश्किल हो गया है।

हालांकि ये ट्रेंड्स आज़ादी देते हैं, लेकिन इसके गहरे भावनात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। सिचुएशनशिप में शामिल लोगों को अक्सर असुरक्षा (Insecurity) और भ्रम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि रिश्ते की कोई स्पष्ट सीमाएँ नहीं होतीं। नैनोशिप, दूसरी ओर, भावनात्मक अलगाव (Emotional Detachment) को बढ़ावा देती है और रिश्तों को ‘उपयोग करो और छोड़ दो’ (Use and Dispose) वाली वस्तु में बदल सकती है।

अंततः, ये नए ट्रेंड्स भारतीय समाज में बदलते सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती मांग को रेखांकित करते हैं।

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