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आयुर्वेद और योग से भारत बना ‘ग्लोबल वेलनेस डेस्टिनेशन’

बेंगलुरु। कोविड-19 महामारी के बाद, पूरी दुनिया ने स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा (Immunity) के महत्व को नए सिरे से समझा है। इस वैश्विक बदलाव के बीच, भारत अपनी सदियों पुरानी पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियों (Traditional Health Practices) जैसे आयुर्वेद और योग के दम पर एक प्रमुख ‘ग्लोबल वेलनेस डेस्टिनेशन’ बनकर उभरा है। अब लोग केवल पर्यटन के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शांति के लिए भारत की ओर रुख कर रहे हैं।

 

रिकॉर्ड-तोड़ वृद्धि: $81.9 बिलियन का अनुमानित बाज़ार

 

हालिया रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि भारत का वेलनेस टूरिज्म (Wellness Tourism) बाज़ार तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, यह बाज़ार 2030 तक $81.9 बिलियन के विशाल आंकड़े को छू सकता है। यह वृद्धि दर दर्शाती है कि विदेशी और घरेलू दोनों तरह के यात्री उपचार, डिटॉक्स और पुनर्प्राप्ति (Recovery) के लिए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों पर कितना भरोसा कर रहे हैं।

 

वृद्धि के मुख्य चालक (Key Drivers)

 

इस अभूतपूर्व वृद्धि के पीछे कई कारक ज़िम्मेदार हैं:

  1. बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता: महामारी के बाद लोगों ने जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए नैसर्गिक और समग्र उपचारों (Natural and Holistic Treatments) को प्राथमिकता दी है। योग, प्राणायाम और ध्यान को अब केवल फिटनेस नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक माना जाता है।
  2. लागत-प्रतिस्पर्धा: पश्चिमी चिकित्सा की तुलना में, आयुर्वेदिक उपचारों की लागत-प्रतिस्पर्धा ज़्यादा है, जिससे ये विश्व स्तर पर रोगियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाते हैं।
  3. सरकारी समर्थन: भारत सरकार की “हील इन इंडिया” (Heal in India) पहल, जिसका उद्देश्य चिकित्सा और वेलनेस पर्यटकों को आकर्षित करना है, इस क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन दे रही है। आयुष (AYUSH) मंत्रालय की सक्रियता से पारंपरिक प्रणालियों के मानकीकरण (Standardization) और प्रचार को बल मिला है।

 

इम्युनिटी, डिटॉक्स और मानसिक शांति की खोज

 

अब कई लोग न सिर्फ बीमारियों के इलाज के लिए, बल्कि इम्युनिटी बढ़ाने, शरीर को डिटॉक्स (Detox) करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए भी आयुष (AYUSH) प्रणालियों (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) पर भरोसा कर रहे हैं। केरल के पंचकर्म केंद्रों से लेकर हिमालय के योग आश्रमों तक, भारत के ये केंद्र अब वैश्विक यात्रियों के लिए स्वास्थ्य और शांति के नए ठिकाने बन चुके हैं।

यह रुझान स्पष्ट रूप से भारतीय जीवनशैली की ताकत को वैश्विक मंच पर दर्शा रहा है, जहाँ भारत न केवल संस्कृति, बल्कि स्वास्थ्य और कल्याण (Wellness) का भी विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर है।

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