
नई दिल्ली। आज की भागदौड़ भरी और अति-कनेक्टेड (Hyper-Connected) दुनिया में, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Mental Health Experts) ने एक चेतावनी जारी की है: अगर आप सचमुच में तनाव (Stress) और एंग्जायटी (Anxiety) को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो आपको अपने स्क्रीन टाइम (Screen Time) को गंभीरता से सीमित करना होगा। विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि स्मार्टफोन, लैपटॉप और टीवी पर बिताया गया लगातार समय हमारे दिमाग और मानसिक शांति को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
डिजिटल ओवरलोड का मानसिक स्वास्थ्य पर असर
साइकोथेरेपिस्टों और मनोचिकित्सकों के अनुसार, अत्यधिक स्क्रीन टाइम से दिमाग में सूचनाओं का ओवरलोड (Overload) हो जाता है। सोशल मीडिया पर दूसरों की ‘परफेक्ट’ लाइफ देखने से तुलना और हीन भावना जन्म लेती है, जिससे तनाव और अवसाद (Depression) बढ़ता है। इसके अलावा, स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी नींद के पैटर्न को बाधित करती है, जिससे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन (तनाव हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है।
एक वरिष्ठ साइकोथेरेपिस्ट ने सलाह दी है कि लोगों को अपने सोशल मीडिया और डिजिटल मनोरंजन के समय को एक सीमा के भीतर लाना चाहिए।
मानसिक शांति के लिए ‘डिजिटल डिटॉक्स’ के उपाय
विशेषज्ञों ने तनाव को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई व्यावहारिक समाधान सुझाए हैं, जिन्हें अक्सर ‘डिजिटल डिटॉक्स’ कहा जाता है:
- प्रकृति और शौक पर ध्यान दें: गैजेट्स से दूर रहकर प्रकृति के साथ वक्त बिताना सबसे फायदेमंद है। बागवानी करना, लंबी सैर पर जाना, या अपने किसी रचनात्मक शौक (Hobby), जैसे पेंटिंग, लेखन या संगीत पर ध्यान केंद्रित करना दिमाग को रीसेट (Reset) करता है और खुशी की भावना बढ़ाता है।
- माइंडफुलनेस मेडिटेशन: रोज़ाना 10 से 15 मिनट का माइंडफुलनेस मेडिटेशन अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। यह सरल अभ्यास मन को वर्तमान क्षण में केंद्रित करने में मदद करता है और चिंताजनक विचारों को दूर करके तनाव को कम करने में अद्भुत काम करता है।
- पर्याप्त और गहरी नींद: विशेषज्ञों ने यह भी सलाह दी है कि हर रात 7-8 घंटे की गहरी नींद लेना आवश्यक है। नींद की कमी सीधे तौर पर कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को बढ़ाती है। सोने से कम से कम एक घंटे पहले सभी स्क्रीनों को बंद कर देने से नींद की गुणवत्ता (Quality of Sleep) में सुधार आता है।
- निश्चित ‘नो-फोन ज़ोन’ बनाएं: बेडरूम और डाइनिंग टेबल को ‘नो-फोन ज़ोन’ घोषित करना चाहिए। इससे परिवार और प्रियजनों के साथ गुणवत्तापूर्ण संवाद और संबंध मजबूत होते हैं, जो मानसिक स्थिरता के लिए आवश्यक हैं।
इस प्रकार, विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मानसिक शांति कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है, जिसे डिजिटल दुनिया से थोड़ी दूरी बनाकर आसानी से हासिल किया जा सकता है।