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घग्घर नदी में बढ़ा जलस्तर, श्री गंगानगर में हाई अलर्ट: हजारों बीघा फसलें बर्बाद

श्री गंगानगर, राजस्थान। (दिनांक: 25 सितंबर 2025)

पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भारी मॉनसूनी बारिश के कारण घग्घर नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है। राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में नदी के बहाव क्षेत्रों और ‘डिप्रेेशनों’ में पानी की मात्रा लगातार बढ़ने से जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। सीमावर्ती जिले में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका से स्थानीय निवासियों और किसानों में चिंता का माहौल है।

खतरे की घंटी और प्रशासनिक तैयारी

घग्घर नदी का पानी आमतौर पर श्री गंगानगर जिले के सूरतगढ़, रावला और घड़साना जैसे क्षेत्रों से होकर बहता है। इस साल, नदी में पानी की आवक इतनी तेज़ है कि कई कच्चे और पुराने बांध (Embankments) टूट गए हैं, जिससे पानी आसपास के खेतों और रिहायशी इलाकों में फैल गया है।

स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए जिला कलेक्टर ने सभी संबंधित विभागों – जल संसाधन, पुलिस, और आपदा प्रबंधन टीमों को 24 घंटे सक्रिय रहने के निर्देश दिए हैं। संवेदनशील और निचले इलाकों में रहने वाले गाँवों को चिह्नित (Identified) कर वहाँ से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने की तैयारी की जा रही है। लोगों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक रूप से नदी के किनारों पर न जाएँ और किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन को तुरंत सूचित करें।

किसानों पर टूटा आफत का पहाड़

घग्घर के रौद्र रूप का सबसे भयानक असर किसानों पर पड़ा है। नदी के किनारे और डिप्रेशनों के पास स्थित हजारों बीघा कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, ग्वार, कपास और धान जैसी खरीफ की तैयार या अर्द्ध-तैयार फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं।

कई किसानों ने अपनी आँखों के सामने अपनी मेहनत और पूंजी को पानी में बहते देखा है। किसानों का कहना है कि जल निकासी (Drainage) की उचित व्यवस्था न होने और पुराने बांधों की मरम्मत न होने के कारण यह नुकसान हुआ है। उन्होंने तत्काल सरकारी मुआवजे और पानी की निकासी के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू करने की माँग की है।

जल निकासी की चुनौती

वर्तमान में प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती घग्घर के जल को सफल और सुरक्षित तरीके से आगे निकालना है। जल संसाधन विभाग की टीमें नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने और टूटे हुए बांधों की मरम्मत के लिए रेत की बोरियाँ (Sandbags) लगाने का काम कर रही हैं। हालांकि, पानी की लगातार आवक के कारण राहत और बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं। प्रशासन का प्रयास है कि पानी को नियंत्रित डिप्रेशनों में उतारा जाए ताकि रिहायशी क्षेत्रों को नुकसान से बचाया जा सके।

यह प्राकृतिक आपदा एक बार फिर श्री गंगानगर के लिए एक बड़ा सबक है, जहाँ घग्घर के प्रबंधन और जल निकासी के दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान देना अपरिहार्य हो गया है।

©️ श्री गंगानगर न्यूज़ ©️