
श्री गंगानगर, राजस्थान। (दिनांक: 25 सितंबर 2025)
“राजस्थान का अन्न का कटोरा” कहे जाने वाले श्री गंगानगर जिले में किसानों के साथ बीज के नाम पर हुए बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। जिले के कई हिस्सों में किसानों को ग्वार की फसल के लिए दिए गए बीज से खेतों में ग्वार के बजाय मक्का उग आया है। इस घटना ने न केवल किसानों की मेहनत और लागत पर पानी फेर दिया है, बल्कि उनकी आर्थिक कमर भी तोड़ दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने तत्काल प्रभाव से उच्च स्तरीय जाँच के आदेश जारी कर दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
यह मामला तब सामने आया जब श्री गंगानगर की विभिन्न तहसीलों, विशेष रूप से सूरतगढ़, रावला और घड़साना क्षेत्र के किसानों ने अपने खेतों में बोई गई ग्वार की फसल की जगह अचानक मक्के के पौधे उगते देखे। ग्वार की बुवाई का सीजन निकल चुका है, और किसानों ने महँगे दामों पर ये बीज स्थानीय डीलरों और कुछ बीज कंपनियों के माध्यम से खरीदे थे। किसानों ने शिकायत की है कि उन्हें ‘हाइब्रिड ग्वार’ कहकर बीज बेचा गया था, लेकिन बुवाई के लगभग एक महीने बाद जब फसल का स्वरूप स्पष्ट हुआ, तो उनके होश उड़ गए।
किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने बताया कि इस धोखे के कारण किसानों की लाखों रुपये की लागत बर्बाद हो गई है। बुवाई, सिंचाई, खाद और कीटनाशकों पर किया गया सारा खर्च व्यर्थ हो गया है। सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इस समय किसान दूसरी फसल भी नहीं बो सकते, क्योंकि रबी (गेहूँ/सरसों) की बुवाई में अभी समय है और खरीफ (ग्वार) का समय निकल चुका है। इस धोखे ने उन्हें पूरे सीजन के लिए आर्थिक संकट में डाल दिया है।
कृषि मंत्री की सख्त प्रतिक्रिया और जाँच के आदेश
मामले की जानकारी मिलते ही कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने स्वयं प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और किसानों से मुलाकात कर उनकी समस्याएँ सुनीं। किसानों के खेतों में उगी मक्के की फसल को देखकर उन्होंने इसे बीज माफिया द्वारा किया गया बड़ा अपराध करार दिया।
मंत्री ने तत्काल प्रभाव से कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों को जाँच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आदेश दिया है कि:
- प्रभावित किसानों की सूची तैयार की जाए और उनके नुकसान का आकलन किया जाए।
- जिस कंपनी या डीलर के माध्यम से बीज बेचा गया है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और उसके सभी बीज स्टॉक को सीज कर दिया जाए।
- बीज के नमूनों को तुरंत प्रयोगशाला में भेजा जाए ताकि मिलावट की प्रकृति और स्रोत का पता चल सके।
- किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक कार्ययोजना बनाई जाए।
विरोध प्रदर्शन और किसानों की मांग
इस फर्जीवाड़े से आक्रोशित किसानों ने जिला मुख्यालय पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बीज कंपनियों के खिलाफ नारेबाजी की और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। किसानों की मुख्य माँगें हैं:
- उन्हें हुए आर्थिक नुकसान की तत्काल भरपाई की जाए।
- फर्जी बीज बेचने वाली कंपनी का लाइसेंस रद्द किया जाए और उसके मालिकों को गिरफ्तार किया जाए।
- कृषि विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, जिनकी लापरवाही के कारण यह फर्जीवाड़ा संभव हो पाया।
यह घटना दर्शाती है कि राजस्थान के कृषि बाजार में अभी भी बीज की गुणवत्ता और बिक्री को लेकर सख्त निगरानी की कमी है। सरकार और कृषि विभाग के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वे जल्द से जल्द दोषियों को सजा दिलाएँ और भविष्य में इस तरह के धोखे को रोकने के लिए पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करें। किसानों को भी अपनी कृषि सामग्री केवल लाइसेंसशुदा और विश्वसनीय डीलरों से खरीदने की सलाह दी गई है।