
1. फैटी लिवर का नया इलाज: FDA से मिली सेमाग्लूटाइड को मंजूरी
दिल्ली: फैटी लिवर के मरीजों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने फैटी लिवर की बीमारी (MASH) के इलाज के लिए सेमाग्लूटाइड दवा को मंजूरी दे दी है। यह दवा पहले से ही मधुमेह (डायबिटीज) और वजन घटाने में इस्तेमाल होती रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंजूरी स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। भारत में भी फैटी लिवर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे यह खबर भारतीय मरीजों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
2. भारत ने बनाई मलेरिया की पहली स्वदेशी वैक्सीन
नई दिल्ली: भारत ने मलेरिया को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने देश की पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन, ‘एडफाल्सीवैक्स’ विकसित की है। इस वैक्सीन को बनाने के लिए पांच भारतीय कंपनियों को लाइसेंस भी दिया गया है। यह वैक्सीन प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम नामक खतरनाक परजीवी के खिलाफ प्रभावी है, और यह भारत के 2030 तक मलेरिया-मुक्त होने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी।
3. बच्चों में बढ़ता मोटापा: यूनिसेफ की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
नई दिल्ली: हाल ही में यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारतीय बच्चों में कुपोषण के बजाय मोटापा एक बड़ी चिंता बन गया है।
फास्ट फूड, शर्करा युक्त पेय पदार्थों और कम शारीरिक गतिविधि के कारण बच्चों में मोटापे के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है, क्योंकि मोटापा मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकता है। माता-पिता को बच्चों की पोषण संबंधी आदतों पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
4. दांतों के बैक्टीरिया बन सकते हैं हार्ट अटैक का कारण
न्यूयॉर्क: एक चौंकाने वाले अध्ययन में यह बात सामने आई है कि आपके मुंह के बैक्टीरिया हृदय स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि मुंह के कुछ हानिकारक बैक्टीरिया रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और हृदय की धमनियों में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। यह अध्ययन दांतों और मसूड़ों की स्वच्छता को बनाए रखने के महत्व पर जोर देता है, क्योंकि यह न केवल मौखिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समग्र स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
5. मानसिक स्वास्थ्य के लिए डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी
मुंबई: आज के समय में मोबाइल और सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार स्क्रीन पर रहना तनाव, चिंता और नींद की समस्याओं का कारण बन सकता है। एक ‘डिजिटल डिटॉक्स’ यानी कुछ समय के लिए डिजिटल उपकरणों से दूरी बनाना, दिमाग को आराम देने और मानसिक शांति पाने में मदद कर सकता है। यह तनाव कम करने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बेहतर बनाता है।
6. दिल्ली-एनसीआर में बच्चों के बीच फैल रहा हैंड-फुट-माउथ डिजीज
दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के बच्चों में एक संक्रामक बीमारी, ‘हैंड-फुट-माउथ डिजीज’ (HFMD) तेजी से फैल रही है। इस बीमारी में बच्चे के मुंह, हाथ और पैरों पर छाले पड़ जाते हैं। हालांकि यह बीमारी आमतौर पर गंभीर नहीं होती है, फिर भी डॉक्टर बच्चों को अलग रखने और साफ-सफाई बनाए रखने की सलाह देते हैं। यह बीमारी आमतौर पर खुद ही ठीक हो जाती है, लेकिन गंभीर मामलों में चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।
7. हृदय स्वास्थ्य के लिए योग और मेडिटेशन
लखनऊ: शारीरिक व्यायाम के अलावा, योग और मेडिटेशन को भी हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना गया है। यह तनाव के स्तर को कम करने में मदद करता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हृदय गति को सामान्य रखता है। नियमित रूप से योग और ध्यान करने से हृदय रोगों का खतरा कम होता है और यह समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार करता है।
8. लाइफस्टाइल में बदलाव से रोकें कैंसर और मधुमेह
नई दिल्ली: विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों को काफी हद तक जीवनशैली में बदलाव करके रोका जा सकता है। इसमें नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद शामिल हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन कम करने से भी इन बीमारियों का जोखिम कम होता है। यह जरूरी है कि लोग अपनी दैनिक आदतों में सुधार करें और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं।
9. महिलाओं के लिए पोषण: हर उम्र में रखें इन बातों का ध्यान
नई दिल्ली: महिलाओं के लिए हर उम्र में सही पोषण बहुत महत्वपूर्ण है। युवावस्था में कैल्शियम और आयरन की आवश्यकता होती है, जबकि गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति (menopause) के दौरान पोषण की जरूरतें बदल जाती हैं। आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन शामिल करना महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि वे पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम का सेवन करें।
10. कोविड-19 के बाद के लक्षण: क्या है ‘लॉन्ग कोविड’
नई दिल्ली: कोविड-19 से ठीक होने के बाद भी कई लोग थकान, सांस लेने में तकलीफ, जोड़ों में दर्द और मानसिक समस्याओं जैसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं। इस स्थिति को ‘लॉन्ग कोविड’ या ‘पोस्ट-कोविड सिंड्रोम’ कहा जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे लक्षणों वाले लोगों को घबराना नहीं चाहिए, बल्कि डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही उपचार और देखभाल से इन लक्षणों को कम किया जा सकता है।