
श्री गंगानगर, राजस्थान: श्री गंगानगर में उन डॉक्टरों पर प्रशासन का शिकंजा कस गया है, जो नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस (NPA) लेने के बावजूद निजी प्रैक्टिस कर रहे थे। चिकित्सा विभाग ने ऐसे डॉक्टरों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला सामने आने के बाद जिला कलेक्टर (DC) ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, राज्य सरकार द्वारा सरकारी डॉक्टरों को एनपीए (NPA) इसलिए दिया जाता है ताकि वे अपनी सरकारी सेवा के दौरान किसी भी तरह की निजी प्रैक्टिस न करें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को पूरी और समर्पित सेवा मिल सके। हालांकि, श्री गंगानगर में कुछ सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि वे एनपीए का लाभ उठाने के बावजूद गुपचुप तरीके से निजी क्लीनिकों में मरीजों को देख रहे हैं या अपने घरों पर ही प्रैक्टिस कर रहे हैं।
प्रशासन की सख्ती
इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए, चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों ने एक आंतरिक जांच शुरू की। जांच में शुरुआती तौर पर कुछ डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस में शामिल होने के सबूत मिले हैं। इसके बाद, विभाग ने संबंधित डॉक्टरों को नोटिस जारी कर इस संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। उन्हें यह बताना होगा कि वे एनपीए लेने के बावजूद निजी प्रैक्टिस क्यों कर रहे थे और इसके पीछे क्या कारण हैं।
जिला कलेक्टर करेंगी जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए, श्री गंगानगर की जिला कलेक्टर (DC) ने अब इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच का आदेश दिया है। डीसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, एक उच्च स्तरीय टीम का गठन किया जाएगा जो सभी आरोपों की गहनता से जांच करेगी। इस जांच में डॉक्टरों के रिकॉर्ड, उनकी उपस्थिति और निजी क्लीनिकों से संबंधित जानकारी खंगाली जाएगी। यदि कोई डॉक्टर दोषी पाया जाता है, तो उस पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एनपीए की वसूली और सेवा से निष्कासन तक शामिल हो सकता है।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और डॉक्टरों की जवाबदेही तय करने पर जोर दिया जा रहा है। इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में सरकारी डॉक्टर अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक ईमानदार रहेंगे और मरीजों को बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी।
आगे क्या होगा?
जिन डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं, उन्हें निर्धारित समय-सीमा के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद, डीसी की अध्यक्षता में होने वाली जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कार्रवाई का श्री गंगानगर की चिकित्सा व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है।