अलवर: सीवरेज ने ली दो जिंदगियां, मुआवजे और नौकरी की मांग पर परिजनों का आक्रोश

अलवर जिले के खेरली क्षेत्र स्थित नवकार वाटिका सोसायटी में शनिवार का दिन मातम और आक्रोश में बदल गया। एक हृदयविदारक हादसे में सीवरेज की सफाई के दौरान दो सफाईकर्मियों की दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना ने न केवल मृतकों के परिवारों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में शोक और गुस्से की लहर पैदा कर दी है। मृतकों की पहचान 55 वर्षीय लच्छी, पुत्र मंगतू, निवासी खेड़ली और 16 वर्षीय आकाश उर्फ हेमराज, पुत्र सागर उर्फ ओमप्रकाश के रूप में हुई है।

इस दुखद घटना की खबर फैलते ही मृतकों के परिजन और वाल्मीकि समाज के बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में एकत्र हो गए और उन्होंने जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। शोक संतप्त परिवार और समुदाय के सदस्य मृतकों के परिजनों के लिए एक-एक करोड़ रुपये के मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। अपने मांगों को लेकर दृढ़ संकल्पित परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से भी इनकार कर दिया है, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।

घटना की गंभीरता को भांपते हुए खेड़ली कठूमर थाने की पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही खेड़ली भनोखर के नायब तहसीलदार भी घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं और परिजनों से बातचीत कर मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, परिजनों का आक्रोश अभी भी शांत नहीं हुआ है और वे अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।

इस दुखद हादसे ने नवकार वाटिका सोसायटी में सीवरेज सफाई की व्यवस्था और वहां कार्यरत सफाईकर्मियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना दर्शाती है कि सफाई जैसे जोखिम भरे कार्यों में लगे कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर कितनी लापरवाही बरती जाती है। सोसायटी प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों की ओर से फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे लोगों में और भी नाराजगी है। क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल गहराता जा रहा है, और मृतकों के परिजनों का धरना अभी भी जारी है, जिससे इलाके में तनाव व्याप्त है।

यह घटना एक बार फिर सफाईकर्मियों की असुरक्षित कार्य परिस्थितियों और उनकी जान की कीमत को कम आंकने की प्रवृत्ति को उजागर करती है। हर साल देश में सीवरेज की सफाई के दौरान कई सफाईकर्मी अपनी जान गंवा देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाते हैं। यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि एक सभ्य समाज के लिए भी शर्मनाक है।

मृतक लच्छी और आकाश उर्फ हेमराज गरीब परिवार से थे और सीवरेज की सफाई जैसे जोखिम भरे काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनकी असामयिक मौत ने उनके परिवारों को बेसहारा कर दिया है। अब उनके परिजनों की मांग है कि उन्हें उचित मुआवजा और सरकारी नौकरी मिले, ताकि वे अपने जीवन को सम्मानपूर्वक जी सकें। उनकी मांग न केवल उनके अपने भविष्य के लिए है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए है कि भविष्य में किसी और गरीब परिवार को इस तरह के दुख का सामना न करना पड़े।

वाल्मीकि समाज के लोगों का इस विरोध प्रदर्शन में भारी संख्या में शामिल होना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा सिर्फ दो परिवारों का नहीं है, बल्कि पूरे समुदाय की चिंता का विषय है। वाल्मीकि समाज लंबे समय से सफाई जैसे जोखिम भरे कार्यों में लगा हुआ है, और उनके सदस्यों को अक्सर सुरक्षा उपकरणों और उचित प्रशिक्षण के अभाव में अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है। इस घटना ने समुदाय के लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है, और वे अब सरकार और प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

धरना दे रहे परिजनों और समुदाय के लोगों का कहना है कि वे तब तक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन उनकी मांगों को अनसुना करता है, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। स्थिति की नाजुकता को देखते हुए प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि वह तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करे और पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाए।

इस दुखद घटना की जांच होनी चाहिए और यह पता लगाया जाना चाहिए कि सीवरेज की सफाई के दौरान सुरक्षा के क्या उपाय किए गए थे और क्या किसी प्रकार की लापरवाही बरती गई थी। यदि किसी की लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। इसके साथ ही, सरकार को सफाईकर्मियों की सुरक्षा और कल्याण के लिए एक ठोस नीति बनानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें उचित सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण मिले।

अलवर में हुई इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हम अपने सफाईकर्मियों के जीवन को कितना महत्व देते हैं। क्या हम उन्हें सिर्फ एक अदृश्य workforce मानते रहेंगे, जिनकी जान की कोई कीमत नहीं? या हम जागेंगे और उनके लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएंगे? यह समय है कि सरकार और समाज दोनों इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में किसी और लच्छी और आकाश को सीवरेज की भेंट न चढ़ना पड़े। परिजनों का धरना जारी है, और अब देखना यह है कि प्रशासन इस दुखद घटना पर क्या कार्रवाई करता है और पीड़ितों के परिवारों को कब तक न्याय मिलता है।

You may also like...

👁️ 61578 ❤️2578