शीतला अष्टमी 2025: तिथि, महत्व और बासी भोजन का रहस्य

शीतला अष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे बसोड़ा भी कहा जाता है। यह होली के बाद चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। उत्तर भारत के साथ-साथ राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में इस दिन माता शीतला की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं कि यह पर्व 2025 में कब है और इस दिन का क्या महत्व है।
शीतला अष्टमी तिथि 2025
हिंदू पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में यह तिथि 22 मार्च को है। इस दिन माता शीतला की पूजा का विशेष महत्व है।
बासी भोजन का रहस्य: क्यों लगाया जाता है भोग और क्यों खाते हैं?
शीतला अष्टमी का पर्व ऐसे समय में आता है जब गर्मी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। मौसम में बदलाव के कारण संक्रमण रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इस समय बासी भोजन करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
माता शीतला को भी इस दिन बासी भोजन का ही भोग लगाया जाता है, क्योंकि उन्हें यह अत्यंत प्रिय है। भारत के कई क्षेत्रों में लोग इस दिन अपने घरों में चूल्हा भी नहीं जलाते और केवल बासी भोजन ही ग्रहण करते हैं। शीतला अष्टमी से एक दिन पहले लोग पूड़ी, पकौड़े, कढ़ी, चने की दाल, हलवा आदि बनाकर रख लेते हैं। इन्हीं चीजों का भोग भक्त माता शीतला को पूजा के बाद लगाते हैं और स्वयं भी इनका सेवन करते हैं। ऐसा करके भक्त माता शीतला के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
धार्मिक महत्व
धार्मिक शास्त्रों में देवी शीतला को रोगों, विशेष रूप से चेचक, खसरा और त्वचा संबंधी रोगों से रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इसलिए शीतला अष्टमी के दिन उनकी पूजा और व्रत रखने से भक्तों को इन रोगों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि माता शीतला अपने भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं।
व्रत रखने के लाभ
शीतला अष्टमी के दिन व्रत रखने और माता की पूजा करने से भक्तों को रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है। माता अपने भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करने वाली मानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से चेचक और छोटी माता जैसे भयंकर रोग भी दूर हो जाते हैं। परिवार के लोगों को आरोग्य की प्राप्ति होती है और वे जीवन का आनंद ले पाते हैं। माता शीतला संक्रमण और बार-बार लगने वाली बीमारियों से भी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
निष्कर्ष
शीतला अष्टमी का पर्व स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा हुआ है। यह हमें मौसम के बदलाव के प्रति जागरूक रहने और स्वच्छता का पालन करने की प्रेरणा देता है। माता शीतला की पूजा और व्रत रखने से हमें न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह हमारे मन को शांति और संतोष भी प्रदान करता है।
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