शनिवार: शनिदेव की कृपा पाने के अचूक नियम, साढ़ेसाती और ढैय्या का भय होगा दूर

शनिवार का दिन हिंदू धर्म में भगवान शनिदेव को समर्पित है। न्याय के देवता और कर्मों के फलदाता माने जाने वाले शनिदेव की इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि शनिवार के दिन सच्चे मन से शनिदेव की उपासना करने से भक्तों को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली अनेक बाधाएं दूर होती हैं। यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या जैसे अशुभ दोष चल रहे हों, तो शनिवार के दिन शनिदेव की आराधना करना अत्यंत ही फलदायी माना जाता है। सूर्यपुत्र शनिदेव की कृपा पाने के लिए विधिपूर्वक पूजा के साथ ही इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना भी आवश्यक है। इन नियमों का पालन करने से न केवल शनिदेव प्रसन्न होते हैं, बल्कि उनकी कुदृष्टि से भी बचाव होता है, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। तो आइए जानते हैं शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा विधि और उन महत्वपूर्ण नियमों के बारे में जिनका पालन करना चाहिए।
शनिवार के दिन इस विधि से करें शनिदेव की पूजा:
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है। यदि आप शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित विधि से उनकी पूजा करें:
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें: शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- काले रंग के वस्त्र धारण करें: शनिवार के दिन काले रंग का कपड़ा पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि काला रंग शनिदेव को प्रिय है।
- शनिदेव की मूर्ति पर तेल और अन्य सामग्री अर्पित करें: स्नान आदि के बाद शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही नीले या काले रंग के फूल, काले तिल और उड़द की दाल भी चढ़ाएं। यह शनिदेव को प्रसन्न करने के महत्वपूर्ण उपाय माने जाते हैं।
- शनि चालीसा का पाठ करें: शनिदेव की पूजा में शनि चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह शनिदेव को समर्पित एक स्तोत्र है, जिसका नियमित पाठ करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और कष्ट दूर होते हैं।
- शनि मंत्रों का जाप करें: शनिदेव के विभिन्न मंत्रों का उच्चारण करना भी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुछ प्रमुख शनि मंत्र इस प्रकार हैं:
- ॐ शनैश्चराय नमः
- ॐ नीलांजनसमाभासाय रविसुताय धीमहि। छायामार्तण्डसम्भृताय तस्मै शनैश्चराय नमः॥
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥ अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार इन मंत्रों का जाप करें।
- शनिदेव को भोग लगाएं: पूजा के दौरान शनिदेव को काले तिल और खिचड़ी का भोग लगाएं। मान्यता है कि शनिदेव को यह भोग प्रिय है।
- आँखों में न देखें, पैरों की ओर देखें: शनिदेव की पूजा करते समय उनकी आँखों में सीधे नहीं देखना चाहिए। पूजा के दौरान शनिदेव के पैरों की ओर देखना अधिक शुभ माना जाता है।
- शनिदेव की आरती करें: पूजा के अंत में शनिदेव की आरती अवश्य करें। आरती के साथ अपनी मनोकामनाएं शनिदेव के समक्ष रखें।
- पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं: शनिवार की शाम को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी शनिदेव को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।
शनिवार को भूलकर भी न करें इन नियमों का उल्लंघन:
शनिदेव न्यायप्रिय देवता हैं और वे अपने भक्तों के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनिवार के दिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए, अन्यथा शनिदेव की कुदृष्टि आपके जीवन में कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न कर सकती है:
- शराब और अन्य नशीली चीजों का सेवन न करें: शनिवार के दिन शराब और अन्य किसी भी प्रकार की नशीली चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव अप्रसन्न होते हैं और नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इस दिन सात्विक जीवन जीना चाहिए।
- किसी बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें: शनिदेव न्याय और सम्मान के प्रतीक हैं। शनिवार के दिन किसी भी बड़े-बुजुर्ग व्यक्ति का अपमान करना या उनके प्रति अनादर का भाव रखना शनिदेव को क्रोधित कर सकता है। हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद लें।
- तामसिक भोजन का सेवन न करें: शनिवार के दिन तामसिक भोजन, जैसे मांस-मछली आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना ही उचित माना जाता है। तामसिक भोजन नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होने में बाधा आ सकती है।
- किसी भी तरह के गलत कार्यों से बचें: शनिवार के दिन किसी भी प्रकार के अनैतिक या गलत कार्यों को करने से बचना चाहिए। चोरी, झूठ बोलना, धोखा देना या किसी को नुकसान पहुंचाना शनिदेव की नाराजगी का कारण बन सकता है। इस दिन अपने कर्मों पर विशेष ध्यान दें और सदाचार का पालन करें।
शनि साढ़ेसाती और ढैय्या दोष का निवारण:
यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या दोष चल रहा है, तो शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा और इन नियमों का पालन करना अत्यंत लाभकारी हो सकता है। साढ़ेसाती शनि का गोचर जब चंद्रमा की राशि से बारहवीं, पहली और दूसरी राशि पर होता है, तब लगता है। वहीं, ढैय्या शनि का गोचर जब चंद्रमा की राशि से चौथी और आठवीं राशि पर होता है, तब लगता है। इन दोषों के दौरान व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शनिवार के दिन किए गए ये उपाय इन दोषों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
शनिवार का दिन शनिदेव की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विधिपूर्वक पूजा के साथ ही यदि आप इन नियमों का पालन करते हैं, तो निश्चित रूप से शनिदेव की कृपा आप पर बनी रहेगी और आपको शनि साढ़ेसाती और ढैय्या दोष के नकारात्मक प्रभावों का भय नहीं सताएगा। श्रद्धा और विश्वास के साथ शनिदेव की उपासना करें और अपने कर्मों को शुद्ध रखें, यही शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम मार्ग है। शनिवार के दिन किए गए ये छोटे-छोटे नियम आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं।