भारत दुनिया का सबसे खुशहाल देश, अमेरिका और कनाडा 10 सबसे कम खुश देशों में

एक नई वैश्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत दुनिया का सबसे खुशहाल देश है, जहां 88 प्रतिशत लोग कहते हैं कि वे या तो बहुत खुश हैं या फिर आंशिक रूप से खुश हैं। इसके विपरीत, जापान इस सूची में लगभग सबसे नीचे है। दूसरी ओर 30 देशों की इस सूची में जापान 27वें स्थान पर है। केवल 12 प्रतिशत जापानी उत्तरदाताओं का कहना है कि वे बहुत खुश हैं। इसके नीचे सिर्फ तीन देश क्रमशः दक्षिण कोरिया, तुर्की और हंगरी हैं। अमेरिका और कनाडा जैसे उच्च आय वाले विकसित देश भी इस सूची में 10 सबसे कम खुश देशों में हैं।
2011 से वैश्विक स्तर पर प्रमुख देशों में खुशी को मापने वाली इप्सोस की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 30 देशों में औसतन 71% लोग कहते हैं कि वे खुश हैं, जबकि 29% नाखुश हैं। भारत में 88% लोग कहते हैं कि वे खुश हैं, जो 30 देशों के हमारे सर्वेक्षण में सबसे ज्यादा है। वहीं, हंगरी ऐसा देश है जहां खुशी का स्तर सबसे कम है। केवल 45% हंगरीवासी कहते हैं कि वे खुश हैं, जो 2011 में खुशी को ट्रैक करना शुरू करने के बाद से हंगरी के लिए दूसरा सबसे कम स्कोर है। इसके पूर्व सिर्फ 2021 में तुर्की में 42% लोगों ने कहा था कि वे खुश हैं।
भारत में एक साल में 6 फीसदी बढ़ा खुशी का स्तर
इप्सोस की 2024 की रिपोर्ट में भारत में खुशी का स्तर 82 फीसदी मापा गया था। इस सर्वे में नीदरलैंड को सबसे खुश देश बताया गया था, जहां 85 फीसदी लोग खशु थे, जबकि भारत में 82 फीसदी। इस सूची में भारत दुनिया का चौथा सबसे खुश देश था। भारत से आगे नीदरलैंड, मैक्सिको और इंडोनेशिया जैसे देश थे। इस तरह भारत में एक साल में खुशी का स्तर 6 फीसदी बढ़कर अब 2025 में 88 फीसदी हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
15 देश 14 साल पहले की तुलना में कम खुश
सर्वेक्षण में शामिल 20 देशों में से 15 देश 14 साल पहले की तुलना में कम खुश हैं। 2011 में सबसे खुशहाल देश तुर्की में खुशी में सबसे बड़ी गिरावट (-40 फीसदी) देखी गई है, उसके बाद दक्षिण कोरिया (-21 फीसदी), कनाडा (-18 फीसदी) और अमरीका (-16 फीसदी) का स्थान है। वहीं, स्पेन में 2011 के बाद से सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई है। स्पेन में 2025 में खुशी का स्तर 11 फीसदी बढ़कर 72% हो गई है।
हमें क्या होते हैं खुश और नाखुश
जो लोग नाखुश हैं, उनमें से 58% का कहना है कि उनकी वित्तीय स्थिति उन्हें ऐसा महसूस कराती है। जबकि केवल 24% का कहना है कि उनकी वित्तीय स्थिति उन्हें खुश करती है। इस तरह सभी पीढ़ियों के लोगों, अलग-अलग आय स्तर और देशों में इस बात को लेकर सहमति है कि वित्तीय स्थिति का उनकी खुशी और नाखुशी से संबंध है।साथ ही, परिवार और बच्चे तथा लोगों से मिलनी वाली सराहना/प्यार महसूस करना लोगों के खुश रहने के दो सबसे बड़े कारण दर्ज किए हैं। पुरानी पीढ़ी के लोगों यह कहने की अधिक संभावना है कि परिवार उन्हें खुश करता है, जबकि युवा पीढ़ी का मानना है कि सराहना महसूस करना उन्हें खुशी देता है।
अमेरिका-कनाडा में कम हो रही खुशी
अमेरिका और कनाडा जैसे उच्च आय वाले विकसित देश भी इस सूची में 10 सबसे कम खुश देशों में हैं। अमेरिका 2011 में 10वें स्थान पर था, लेकिन अब 2025 में 18वें स्थान पर है। कनाडा 2011 में 12वें स्थान पर था, लेकिन अब 2025 में 19वें स्थान पर है।
भारत में खुशी का स्तर बढ़ने के कारण
भारत में खुशी के स्तर में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। कुछ संभावित कारणों में शामिल हैं:
- आर्थिक विकास: भारत में पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक विकास हुआ है, जिससे लोगों की जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
- सामाजिक परिवर्तन: भारत में सामाजिक परिवर्तन भी हुए हैं, जैसे कि महिलाओं के अधिकारों में वृद्धि और जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई।
- संस्कृति: भारतीय संस्कृति में खुशी और सकारात्मकता पर जोर दिया जाता है।
- परिवार और दोस्तों का महत्व: भारतीय संस्कृति में परिवार और दोस्तों को बहुत महत्व दिया जाता है।
निष्कर्ष
यह सर्वेक्षण भारत में खुशी के स्तर में वृद्धि का एक प्रमाण है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सर्वेक्षण केवल एक नमूना है और यह संभव है कि वास्तविक खुशी का स्तर इससे अधिक या कम हो।