असम में सभी सरकारी काम के लिए अनिवार्य होगी असमिया भाषा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की है कि असम सरकार ने सभी सरकारी कार्यों के लिए असमिया को अनिवार्य आधिकारिक भाषा बना दिया है। हालांकि, इस फैसले में राज्य के बराक घाटी के तीन जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) के अंतर्गत आने वाले पांच जिलों को अलग रखा गया है।
किन कार्यों में इस्तेमाल होगी असमिया?
असम सरकार की ओर से जारी की गई आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि सभी सरकारी नोटिफिकेशन, ऑफिस मेमो, कानून, नियम, रेगुलेशन, योजना दिशानिर्देश, ट्रांसफर और पोस्टिंग आदि के आदेश अंग्रेजी और असमिया दोनों ही भाषा में जारी किए जाएंगे।
क्या बोले सीएम हिमंता?
सरकारी कार्यों में असमिया भाषा को अनिवार्य किए जाने के फैसले के बारे में असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने X पर एक पोस्ट में कहा- “इस बोहाग से असम में सभी सरकारी नोटिफिकेशन, आदेशों, कानून आदि के लिए असमिया अनिवार्य आधिकारिक भाषा होगी। वहीं, बराक घाटी और बीटीआर के जिलों में क्रमशः बंगाली और बोडो भाषाओं का उपयोग किया जाएगा।”
इन जिलों में इस्तेमाल होंगी अलग भाषाएं
असम सरकार की आधिकारिक अधिसूचना में जानकारी दी गई है कि राज्य के बराक घाटी के कछार, हैलाकांडी और श्रीभूमि जिलों में आधिकारिक कार्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भाषा का भी उपयोग किया जाएगा। वहीं, BTR के तहत आने वाले कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर में आधिकारिक कार्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बोडो भाषा का भी इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि ये फैसला असम के सीएम हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में 4 अप्रैल को आयोजित कैबिनेट की बैठक में किया गया है।
असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने का उद्देश्य
असम सरकार ने असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने के लिए कई कारण बताए हैं। इनमें शामिल हैं:
- असमिया राज्य की आधिकारिक भाषा है और इसे सभी सरकारी कार्यों में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- असमिया भाषा राज्य की संस्कृति और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- असमिया भाषा को बढ़ावा देने से राज्य के लोगों को अपनी मातृभाषा में काम करने का अवसर मिलेगा।
- असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने से राज्य में नौकरियों के अवसरों में वृद्धि होगी।
असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने का विरोध
असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने के फैसले का कुछ लोगों ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला राज्य के गैर-असमिया लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि असमिया भाषा को अनिवार्य बनाना असंभव है क्योंकि राज्य में कई भाषाएं बोली जाती हैं।
असम सरकार का जवाब
असम सरकार ने कहा है कि वह गैर-असमिया लोगों के अधिकारों का सम्मान करती है और उन्हें असमिया भाषा सीखने में मदद करेगी। सरकार ने यह भी कहा कि असमिया भाषा को अनिवार्य बनाना संभव है क्योंकि राज्य में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन असमिया सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने का प्रभाव
असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने का प्रभाव अभी तक स्पष्ट नहीं है। यह देखा जाना बाकी है कि यह फैसला राज्य के लोगों पर कैसे प्रभाव डालेगा।
निष्कर्ष
असम सरकार ने सभी सरकारी कार्यों के लिए असमिया को अनिवार्य आधिकारिक भाषा बना दिया है। यह फैसला राज्य के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह उन्हें अपनी मातृभाषा में काम करने का अवसर देगा। हालांकि, यह फैसला कुछ लोगों द्वारा विवादित भी है, जो मानते हैं कि यह गैर-असमिया लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। समय बताएगा कि असमिया भाषा को अनिवार्य बनाने का क्या प्रभाव होगा।