अरबों का खेल, आलीशान शौक और अब शिकंजा: कैसे डूबी ब्लूस्मार्ट की चमक?

भारत के राइड-हेलिंग बाजार में इन दिनों भूचाल आया हुआ है, और इसकी वजह है इलेक्ट्रिक कैब सेवा ब्लूस्मार्ट से जुड़ा एक चौंकाने वाला खुलासा। इस उद्योग के प्रमुख चेहरे और कंपनी के सह-संस्थापक, अनमोल जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी, आज गंभीर संकटों के घेरे में हैं। आरोप है कि इन दोनों दिग्गज बिजनेसमैन ने बाजार से जुटाए गए निवेश के करोड़ों रुपयों का जमकर दुरुपयोग किया। इस पैसे से न केवल आलीशान गाड़ियां और महंगे बंगले खरीदे गए, बल्कि एक भव्य गोल्फ कोर्स तक बनवा डाला गया। चौंकाने वाली जानकारी के अनुसार, कंपनी के शीर्ष अधिकारियों, जिनमें जग्गी बंधु भी शामिल हैं, ने कथित तौर पर 1,700 इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए स्वीकृत 262 करोड़ रुपये के ग्रीन एनर्जी लोन का भी गलत इस्तेमाल किया। इस बड़े पैमाने के धोखाधड़ी के कारण न केवल निवेशकों का बहुमूल्य धन डूब गया है, बल्कि अनमोल और पुनीत जग्गी को अपने उच्च पदों से भी हाथ धोना पड़ा है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचा है।
ब्लूस्मार्ट कैब सेवा के इस बड़े लोन घोटाले का पर्दाफाश होने और इसके परिचालन पर अचानक ब्रेक लगने से पूरे देश के राइड-हेलिंग बाजार में खलबली मच गई है। अब कंपनी के बेड़े में शामिल 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य भी अधर में लटक गया है। इस मामले में एक संबंधित इकाई, जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड, को भी भारत के शीर्ष बाजार नियामक द्वारा फंड के गलत इस्तेमाल और दस्तावेजों में जालसाजी करने के लिए कड़ी फटकार लगाई गई है, जिसने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। इन गंभीर आरोपों के चलते ब्लूस्मार्ट ने फिलहाल अपनी सभी सेवाओं को निलंबित कर दिया है, जिसके कारण बड़ी संख्या में ग्राहकों का पैसा भी कंपनी के इन-ऐप वॉलेट में फंसा हुआ है।
इस अप्रत्याशित घटनाक्रम का सीधा लाभ उबर और ओला जैसे स्थापित राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म को मिल सकता है। खासकर ऐसे समय में जब रैपिडो और नम्मा यात्री जैसे नए खिलाड़ियों के बढ़ते दबाव के कारण बाजार में प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, ब्लूस्मार्ट का कमजोर पड़ना इन बड़ी कंपनियों के लिए अपनी स्थिति और मजबूत करने का सुनहरा अवसर साबित हो सकता है। ये नए प्लेटफॉर्म पारंपरिक कमीशन-आधारित मॉडल को छोड़कर सदस्यता शुल्क मॉडल पर काम कर रहे हैं, जो ड्राइवरों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वर्तमान में ब्लूस्मार्ट का भविष्य पूरी तरह से अनिश्चित बना हुआ है। यदि कंपनी अपनी गंभीर वित्तीय समस्याओं का समाधान ढूंढने में विफल रहती है, तो उबर द्वारा ब्लूस्मार्ट का अधिग्रहण एक संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, जिससे उबर को भारतीय बाजार में अपनी पकड़ और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण मौका मिल जाएगा।
इस पूरे मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए जग्गी बंधुओं पर प्रतिभूति बाजार में किसी भी प्रमुख पद पर रहने पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है। सेबी की यह कड़ी कार्रवाई उनके द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं के पुख्ता सबूत सामने आने के बाद की गई है। इस प्रतिबंध ने न केवल उनके व्यवसाय को एक गहरा झटका दिया है, बल्कि ब्लूस्मार्ट कैब की विश्वसनीयता को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है।
आंकड़ों के अनुसार, भारत का लगभग 1 बिलियन डॉलर का विशाल राइड-हेलिंग बाजार पहले से ही एक बड़े उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ इलेक्ट्रिक कैब सेवा ब्लूस्मार्ट ने अपना परिचालन रोक दिया है, तो दूसरी तरफ बाजार में प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है, क्योंकि नए प्लेटफॉर्म सदस्यता शुल्क के आधार पर कमीशन-आधारित मॉडल को छोड़ रहे हैं। इसके अलावा, नियामक प्राधिकरण भी बाइक टैक्सियों पर नकेल कस रहे हैं, जिससे पूरे उद्योग का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।
गौरतलब है कि ब्लूस्मार्ट ने अचानक बुधवार को अपने सभी वाहनों का परिचालन रोक दिया था। यह कदम ठीक एक दिन पहले उठाया गया, जब संबंधित-पक्ष इकाई जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड को भारत के शीर्ष बाजार नियामक ने फंड के गलत इस्तेमाल और दस्तावेजों में जालसाजी करने के गंभीर आरोपों के लिए कड़ी फटकार लगाई थी।
बाजार के जानकारों का मानना है कि ब्लूस्मार्ट के इस अप्रत्याशित निकास से चार पहिया वाहन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करने वाली अन्य कंपनियों के लिए नए अवसर खुल सकते हैं। उबर और ओला, जो पहले से ही रैपिडो और नम्मा यात्री जैसी तेजी से बढ़ती चुनौती देने वाली कंपनियों से दबाव का सामना कर रहे हैं, अब ब्लूस्मार्ट के कमजोर पड़ने का फायदा उठा सकते हैं। रैपिडो और नम्मा यात्री ने ड्राइवरों के लिए दैनिक सदस्यता शुल्क के पक्ष में पारंपरिक प्रति-सवारी कमीशन मॉडल को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।
यह सदस्यता शुल्क मॉडल, जो प्रति सवारी कमीशन की तुलना में ड्राइवरों के लिए काफी सस्ता साबित हुआ है, राइड-शेयरिंग भागीदारों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है। इसी कारण रैपिडो और नम्मा यात्री जैसे नए प्लेटफॉर्म बड़ी संख्या में ड्राइवरों को अपने साथ जोड़ने में सफल रहे हैं। वहीं, उबर और ओला अभी भी अपनी कैब राइड पर ड्राइवरों से कमीशन लेते हैं, जिसके कारण उन्हें थ्री-व्हीलर सेगमेंट में सदस्यता-आधारित मॉडल में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, ताकि वे नए प्रतिस्पर्धियों के साथ तालमेल बिठा सकें।
इस बीच, एक और महत्वपूर्ण सवाल उठ रहा है कि क्या राइड एग्रीगेटर्स को सदस्यता मॉडल के तहत बुक की गई राइड के लिए यात्रियों पर 5 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाना चाहिए। इस मुद्दे पर अभी भी स्पष्टता का अभाव है और यह उद्योग के भविष्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, 2 अप्रैल को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए नियामक दिशानिर्देशों की कमी का हवाला देते हुए राज्य में सभी बाइक टैक्सी संचालन को मई के मध्य तक बंद करने का आदेश दिया था। यह फैसला अन्य राज्यों में भी इसी तरह के प्रतिबंधों को बढ़ावा दे सकता है, जिससे पूरे राइड-हेलिंग उद्योग के लिए चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ब्लूस्मार्ट का भविष्य क्या होगा? दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में अपनी सेवाओं को निलंबित करने के बाद, ब्लूस्मार्ट ने अपने ग्राहकों से कहा है कि उनके इन-ऐप वॉलेट बैलेंस को वापस करने में 90 दिनों तक का लंबा समय लग सकता है। यह उन उपयोगकर्ताओं के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है जिन्होंने अपने ब्लूस्मार्ट वॉलेट में बड़ी रकम रखी हुई है। इसके अलावा, जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड, जिसने ब्लूस्मार्ट को इलेक्ट्रिक वाहन पट्टे पर देने के लिए ऋण लिया था और अब तक उसका भुगतान नहीं किया है, जैसी कंपनियों के कारण कैब सेवा भी गंभीर नकदी संकट से जूझ रही है। इन तमाम परिस्थितियों को देखते हुए, ब्लूस्मार्ट का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है, और बाजार में इसकी वापसी की संभावना भी काफी कम दिखाई दे रही है।