अंततः खुली सीमाएं: खनौरी और शंभू बॉर्डर पर 13 महीने का किसान आंदोलन समाप्त

पंजाब सरकार ने आखिरकार खनौरी और शंभू बॉर्डर पर पिछले 13 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को समाप्त कर दिया है। बुधवार देर रात शुरू हुई कार्रवाई गुरुवार तक जारी रही, जिसमें पंजाब पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचों और शेडों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई के बाद शंभू बॉर्डर पर एक तरफ की सड़क को यातायात के लिए खोल दिया गया है, जिससे हाईवे पर वाहनों की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है। हालांकि, एहतियात के तौर पर हाईवे पर टोल प्लाजा को फिलहाल बंद रखा गया है।

यह घटनाक्रम एक लंबे और तनावपूर्ण गतिरोध का अंत है, जिसने पंजाब और हरियाणा के बीच महत्वपूर्ण राजमार्गों पर यातायात को बाधित कर रखा था। किसान, जो केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, ने इन सीमाओं पर डेरा डाल दिया था, जिससे आम लोगों और व्यापारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

आंदोलन की पृष्ठभूमि

किसानों का यह आंदोलन मुख्य रूप से तीन कृषि कानूनों के विरोध में था, जिन्हें केंद्र सरकार ने 2020 में पारित किया था। किसानों का मानना था कि ये कानून उनकी आय को कम करेंगे और उन्हें बड़े कॉरपोरेट्स के हाथों में सौंप देंगे। इन कानूनों को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे, और पंजाब के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर भी लंबा आंदोलन चलाया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने बाद में इन कानूनों को वापस ले लिया था, लेकिन किसानों ने अपनी अन्य मांगों को लेकर अपना आंदोलन जारी रखा था।

खनौरी और शंभू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा इन्हीं मांगों का हिस्सा था। उन्होंने यहां स्थायी रूप से डेरा डाल दिया था, जिससे सीमाएं अवरुद्ध हो गई थीं। इस स्थिति के कारण न केवल स्थानीय लोगों को असुविधा हो रही थी, बल्कि अंतरराज्यीय व्यापार और आवागमन भी प्रभावित हो रहा था।

पंजाब सरकार की कार्रवाई

पंजाब सरकार ने इस स्थिति को समाप्त करने के लिए कई बार किसानों के साथ बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। आखिरकार, बुधवार देर रात सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया। पुलिस बल ने सीमाओं पर पहुंचकर किसानों को हटाने की कार्रवाई शुरू की।

पुलिस ने बताया कि किसानों को शांतिपूर्वक हटने के लिए कहा गया था, लेकिन कुछ किसानों ने विरोध किया, जिसके बाद पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। कार्रवाई के दौरान कुछ किसानों को हिरासत में भी लिया गया। गुरुवार सुबह तक सीमाओं पर बने सभी अस्थायी ढांचे और शेडों को ध्वस्त कर दिया गया, और सड़कों को साफ कर दिया गया।

सड़कें खुली, टोल प्लाजा बंद

कार्रवाई के बाद शंभू बॉर्डर पर एक तरफ की सड़क को यातायात के लिए खोल दिया गया है। इससे अब वाहनों की आवाजाही सुचारू रूप से शुरू हो गई है, जिससे लोगों और व्यापारियों को राहत मिली है। हालांकि, सुरक्षा और संभावित विरोध प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए, हाईवे पर टोल प्लाजा को फिलहाल बंद रखा गया है। सरकार का कहना है कि स्थिति का आकलन करने के बाद ही टोल प्लाजा को फिर से खोला जाएगा।

प्रतिक्रियाएं और आगे की राह

पंजाब सरकार की इस कार्रवाई पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग सरकार के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह कार्रवाई कानून व्यवस्था बनाए रखने और आम लोगों को राहत पहुंचाने के लिए जरूरी थी। वहीं, कुछ किसान संगठनों ने सरकार की इस कार्रवाई की निंदा की है और इसे दमनकारी बताया है।

यह देखना होगा कि किसान संगठन आगे क्या रुख अपनाते हैं। क्या वे सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार होंगे, या फिर वे विरोध के अन्य तरीकों का सहारा लेंगे? यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार किसानों की मांगों पर कितना ध्यान देती है और भविष्य में इस तरह की स्थितियों से बचने के लिए क्या कदम उठाती है।

खनौरी और शंभू बॉर्डर पर 13 महीने का किसान आंदोलन समाप्त हो गया है, लेकिन यह घटनाक्रम कई सवाल छोड़ गया है। यह दिखाता है कि किसानों के मुद्दों को हल करना कितना जटिल है, और सरकार और किसान संगठनों के बीच विश्वास की कमी कितनी गहरी है। उम्मीद है कि सरकार और किसान संगठन मिलकर एक ऐसा रास्ता निकालेंगे जिससे किसानों की समस्याओं का समाधान हो सके और भविष्य में इस तरह के टकराव से बचा जा सके। फिलहाल, सीमाओं का खुलना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह देखना होगा कि यह शांति कितने समय तक बनी रहती है।

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